बीजेपी में घट रही फडणवीस की साख! – अजित पवार ‘एपिसोड’ से भी आउट,

40 समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल होने की खबरों को लेकर मंगलवार को अजित पवार ने यह सफाई दी कि जब तक है जान, वे शरद पवार के नेतृत्व में काम करेंगे और एनसीपी में ही रहेंगे. बीजेपी की एकनाथ शिंदे को साथ लेकर एकसाथ हिंदुत्व और राज्य के तीस फीसदी से ज्यादा तादाद वाले मराठा समाज को साधने की नीति कुछ खास कारगर नहीं हो पाई. अब कोशिश अजित पवार को साधने की है. लेकिन इस कोशिश में देवेंद्र फडणवीस पिक्चर में नहीं हैं. यह सवाल उद्धव ठाकरे गुट के अखबार में उठाया गया है.
सीधी सी बात है, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के बीच अच्छे ताल्लुकात हैं. अगर अजित पवार के साथ कोई नेगोशिएशन चल रहा है तो उसमें देवेंद्र फडणवीस का सक्रिय होते हुए दिखाई देना था. लेकिन इसकी बजाए जिस वक्त अजित पवार से जुड़ी खबरें सामने आ रही थी, उस दौरान दिल्ली में चर्चा के लिए मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशिष शेलार और प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को बुलाया गया. सामना में सवाल है की पूरी पिक्चर में देवेंद्र फडणवीस कहीं दिखाई नहीं दे रहे. इसके मायने क्या हैं?
क्या देवेंद्र फडणवीस की प्रतिष्ठा की जा रही कम? नहीं दिख रहा पहले सा दम-खम
संजय राउत भी इससे पहले अपने मीडिया संवाद में यह एकाध बार कह चुके हैं कि देवेंद्र फडणवीस की पुरानी धार कहीं खो गई है. वे अब ज्यादा सक्रिय नहीं दिखाई दे रहे हैं. उनकी शासन-प्रशासन में पकड़ ढीली हो गई है. राउत ये बातें राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति की चर्चा करते हुए कह रहे थे.
केंद्र में तावड़े का कद बढ़ा, राज्य में फडणवीस का कद घटा?
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जब मुंबई आए तो सबसे पहले विनोद तावड़े के घर गए. विनोद तावड़े की मां गुजर गई हैं. अमित शाह मातृ शोक में संवेदनाएं व्यक्त करने गए थे. यह बात समझ आती है. लेकिन यह भी सच है कि अमित शाह मुंबई आते ही सबसे पहले विनोद तावड़े के घर गए. विनोद तावड़े और पंकजा मुंडे वो नेता हैं जिन्हें देवेंद्र फडणवीस ने अपनी टीम में नहीं रखा था. इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों को दिल्ली बुला लिया.एक तरफ पंकजा मुंडे को राष्ट्रीय राजनीति रास नहीं आई तो दूसरी तरफ विनोद तावड़े एक बेहतर संगठनकर्ता बनकर उभरे.
ठाकरे गुट का अनुमान, फडणवीस का पार्टी में गिर रहा है सम्मान
हाल की कुछ घटनाएं ऐसी हुई हैं जिनसे सतही तौर पर ठाकरे गुट का अनुमान सही लगता है. थोड़े ही वक्त पहले तक ना सिर्फ महाराष्ट्र गोवा, गुजरात, बिहार जैसे राज्यों में बीजेपी की सफलता में फडणवीस का अहम रोल रहा. लेकिन इन चुनावों के बाद ही शायद फडणवीस का कद गिरना शुरू हो गया. जब पीएम नरेंद्र मोदी का भी मुंबई दौरा हुआ था तो उन्होंने मंच से यह तो कहा था कि शिंदे-फडणवीस मिलकर अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन वे ज्यादा अटेंशन सीएम एकनाथ शिंदे को देते हुए दिखाई दे रहे थे.

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