मुंबई। 2024 के लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र पंचायत चुनाव बीजेपी के लिए राहत लेकर आया है। इस चुनाव में न सिर्फ बीजेपी ने नंबर वन की पोजिशन को हासिल कर अपनी साख मजबूत की है, बल्कि उसके महायुति गठबंधन की पार्टियों ने उम्दा प्रदर्शन भी किया है। बीजेपी, एनसीपी अजित गुट और शिवसेना शिंदे गुट ने कुल 2359 ग्राम पंचायतों में से 1372 सीटें जीत ली हैं। इस चुनाव में महाविकास अघाड़ी (मविअ) गठबंधन को बड़ा धक्का लगा है।
सबसे अधिक नुकसान उद्धव ठाकरे की शिवसेना को हुआ है। पार्टी में दो फाड़ होने के बाद पहले चुनाव में सीएम शिंदे की शिवसेना ने ग्रामीण इलाकों में ज्यादा सीटें जीती हैं। उद्धव की शिवसेना पंचायत चुनाव में पांचवें नंबर पर रही।
महाराष्ट्र पंचायत चुनाव ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर मालिकाना हक के लिए लड़ रहे चाचा शरद पवार को बड़ा फैसला सुनाया है। इस चुनाव में अजित गुट ने शरद पवार खेमे को बड़े अंतर से पछाड़ दिया। शरद पवार गुट की एनसीपी पंचायत चुनाव में चौथे स्थान पर रही है।
बीजेपी को 2024 लोकसभा चुनाव में होगा फायदा
पिछले दो साल में महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ी उठापटक हुई है। एक महीने के लंबे ड्रामे के बाद जून 2022 में 40 विधायकों के साथ बगावत करने वाले शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई। बगावत के कारण उद्धव ठाकरे की महाअघाड़ी गठबंधन की सरकार गिर गई थी। इसके बाद बागी विधायकों की सदस्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
महायुति की सरकार के एक साल पूरे करने से पहले एनसीपी में फूट पड़ गई। अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत का झंडा उठाया और बीजेपी-शिंदे के साथ सरकार में शामिल हो गए। इस राजनीतिक उठापटक का ठीकरा भारतीय जनता पार्टी पर फोड़ा गया। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी ने खुले तौर से इस बदलाव के लिए बीजेपी को विलेन बता दिया।
इस फेरबदल के बाद पंचायत चुनाव पहला ऐसा मौका था, जहां शिवसेना और एनसीपी के साथ उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फड़नवीस, शरद पवार, अजित पवार की अग्निपरीक्षा हुई। इस अग्निपरीक्षा में बीजेपी-शिंदे और अजित पवार की महायुति ने बाजी मार ली।
उद्धव ठाकरे को अब सिर्फ मुंबई महानगर से उम्मीद
उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने का आरोप झेल रही बीजेपी ने महाराष्ट्र की 717 पंचायतों में जीत हासिल की है। महाविकास अघाड़ी को 638 पंचायतों में ही सफलता मिली। बाकी सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में चली गई। अजित पवार के गुट ने 382 सीटों पर कब्जा जमाया, चाचा शरद पवार सिर्फ 205 सीटें मिलीं। कांग्रेस 293 सीटें हासिल कर तीसरे नंबर पर रही। एकनाथ शिंदे इस आंकड़ेबाजी में अपने एक्स बॉस से आगे निकल गए। 273 सीटें जीतकर शिवसेना (शिंदे गुट) ने उद्धव ठाकरे को बड़ी पटखनी दी। उद्धव की शिवसेना को सिर्फ 140 सीटों के साथ पांचवें स्थान से संतोष करना पड़ा।
‘असली शिवसेना कौन?’ की लड़ाई लड़ रहे उद्धव और शिंदे के बीच का फैसला जनता ने कर दिया। बीजेपी के लिए राहत की खबर यह है कि लोकसभा चुनाव से पहले ग्रामीण इलाके में पार्टी की स्थिति मजबूत रही। हालांकि यह जीत उन इलाकों के सूबेदारों के कारण मिली है। दूसरा कारण यह रहा कि पंचायत चुनाव के दौरान बीजेपी के सहयोगी दोनों दल अपने पुरानी पार्टी के नेताओं से जूझते रहे। बीजेपी पूरे चुनाव को प्रफेशनल तरीके से लड़ी। अब बृहन्मुंबई महानगरपालिका के चुनावों में बीजेपी और उद्धव का मुकाबला होगा।
एनसीपी के असली बॉस बनकर उभरे अजित पवार
एनसीपी के भाग्य का फैसला भी महाराष्ट्र पंचायत चुनाव में हो गया। अजित पवार ने यह साबित कर दिया कि एनसीपी पर उनकी पकड़ पहले से मजबूत थी और राज्य के अन्य हिस्सों में कार्यकर्ता उनके साथ हैं। अजित पवार के दबदबे का अंदाजा बारामती के नतीजे से लगाया जा सकता है। शरद पवार के राजनीतिक दुर्ग बारामती के 32 ग्राम पंचायतों में से 30 पर अजित पवार गुट ने जीत हासिल की। दो बची हुई सीटें भी बीजेपी के खाते में चली गई। 50 साल से शरद पवार का अजेय दुर्ग रहे बारामती में उनके गुट का खाता भी नहीं खुला। इस नतीजे के बाद अजित पवार का कद बढ़ गया है।
बीजेपी ने भी इस परिणाम से राहत की सांस ली है। पिछले दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने महाराष्ट्र में 23 सीटें हासिल की थी। चुनाव से पहले वह नए सहयोगियों से तालमेल को जूझ रही थी। इसके अलावा मराठा आंदोलन को संभालने का जिम्मा भी डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने संभाल रखा था। मराठा आंदोलन के कारण बीजेपी फूंक-फूंककर कदम रख रही थी। चुनाव में वह दोहरी चुनौती से जूझकर बाहर आई है। 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी आश्वस्त हुई है।