नागपूर ग्रामी मे स्थित बाजारगाव क्षेत्र मे ग्रीष्मकालीन मुंगफली कि बुवाइ कि सुरवात हो गई है। सोयाबीन और कपास मे बडा नुकसान होणे के बाद किसान आर्थिक संकट से झुंज रहे है। ग्रीष्मकालीन मुंगफली किसानों का आखरी दाव समझा जाता है, जिसकी बुवाइ कि सुरवात जनवरी से फरवरी तक कि होती है। मई के महिने तक किसान के लिये फसल मंडी मे बेचने के उपयुक्त हो जाती है।
15 जनवरी से 15 फरवरी के बीच इस फसल कि बुवाइ कि जाती है। 105-115 दिन कि ये फसल रहती है, जिसमे 30-40 क्विंटल प्रति हेक्टर उत्पादन का अनुमान है इस फसल के लिये जमीन मे गोबर का खाद डाला जाता है और सिंचाई करणी पडती है। पिछले 4 सालं से बाजारगाव क्षेत्र मे ग्रीष्मकालीन मुंगफली कि फसल ले रहे. जिसमे अच्छा उत्पादन होणे का दावा किसान कर रहे। गेहू और चणा मे अच्छा उत्पादन होणे के बाद भी अच्छा दाम नहीं मिलने के कारण किसानों ने इस फसल का चयन किया। ग्रीष्म मे जिन किसानों के पास पाणी कि अच्छी सुविधा है उनकी ये पहली पसंद कहलाई जा रही। क्षेत्र के किसान प्रकाश इवनातें इन्होने बताया कि गेहू और चणा से ज्यादा किमत और उत्पादन हमे इस फसल से मिल रही। 6000 प्रति क्विंटल किमंत हमे पिछले सालं मिली थी इस वजह से हमारी अपेक्षा और बढि है। पारंपरिक फसलो को नये तकनीको के सहयोग से खेती करे तो निश्चित ही खेती मे सफलता मिलेगी ऐसा क्षेत्र के किसान प्रकाश इवनातें इन्होने बताया।