नागपुर।(नामेस)।
शुक्रवार को राज्य मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए निर्भया योजना के तहत मानव डीएनए नमूनों के परीक्षण हेतु तीन फास्ट-ट्रैक डीएनए परीक्षण यूनिट का उद्घाटन किया. इससे आपराधिक मामलों की जांच की दक्षता में वृद्धि होगी. अधिकारियों ने कहा कि यह नई समर्पित सुविधाओं के उपलब्ध होने के कारण बच्चों और महिलाओं से जुड़े यौन शोषण के मामलों की जांच में अब देरी नहीं होगी.चूंकि फोरेंसिक विज्ञान आपराधिक जांच का एक अभिन्न अंग बन चूका है, इसलिए पुलिस विभाग ने परीक्षण के लिए फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) को आपराधिक मामलों में अभियुक्तों या पीड़ित व्यक्तियों के संभावित डीएनए नमूने भेजने शुरू कर दिए हैं. जैसे-जैसे भेजे गए नमूनों की संख्या बढ़ रही है, वैसे वैसे राज्य भर में तमाम फोरेंसिक प्रयोगशालाओं पर भी बोझ बढ़ गया है, जिससे परीक्षण की अवधि में देरी हो जाती है.हालांकि, महत्वपूर्ण या संवेदनशील मामलों को बाकी मामलों के मुकाबले प्राथमिकता दी जा रही है. इन दिनों कई मामले फोरेंसिक रिपोर्ट के नतीजे पर निर्भर होते हैं क्योंकि उनका उच्च साक्ष्य मूल्य होता है, आर.एफ.एस.एल के एक अधिकारी ने कहा। “नई फास्ट ट्रैक डीएनए परीक्षण यूनिट के बारे में एफ.एस.एल नागपुर के उप निदेशक विजय ठाकरे ने कहा कि उन्हें समर्पित जनशक्ति प्रदान की गई है ताकि महिलाओं और बच्चों से जुड़े यौन शोषण के मामलों के जांच में ज़्यादा देरी न हो.तमाम नवगठित यूनिट में एक वन्यजीव डीएनए परीक्षण यूनिट भी शहर में शुरू की गई है. नागपुर में अपनी स्थापना के साथ ही महाराष्ट्र देश का एकमात्र ऐसा राज्य बन गया है, जिसके पास जानवरों के लिए अपनी स्वतंत्र डीएनए जांच यूनिट है.