‘प्राकृतिक खेती’ को जन आंदोलन बनायें

 नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के संबंध में गुरुवार को ‘शून्य बजट खेती’ शिखर सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा, आजादी के बाद के दशकों में जिस तरह देश में खेती हुई, जिस दिशा में बढ़ी, वो हम सबने बहुत बारीकी से देखी है. उन्होंने आगे कहा, ‘अब आजादी के 100वें वर्ष तक का जो हमारा सफर है, वो नई आवश्यकताओं, नई चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का है. पीएम मोदी ने सम्मेलन के दौरान खेती को लेकर बीते 6-7 साल का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘बीते 6-7 साल में बीज से लेकर बाजार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं. मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक, पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी तक. सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक, अनेक कदम उठाए हैं’. पीएम मोदी ने कहा, ‘मैंने देशभर के किसान भाइयों से आग्रह किया था कि प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय सम्मेलन से जरूर जुड़ें. आज करीब-करीब 8 करोड़ किसान देश के हर कोने से टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए हैं. नैचुरल फार्मिंग से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80 प्रतिशत किसान. इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है. अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी. एक भ्रम ये भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी. जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है. पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी. मानवता के विकास का, इतिहास इसका साक्षी है. इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित कई नेता व केंद्रीय मंत्री उपस्थित थे. सम्मेलन में पांच हजार से अधिक किसानों ने हिस्सा लिया.

जैविक उत्पादन समय की मांग
गृह मंत्री अमित शाह ने भी समारोह को संबोधित किया. उन्होंने कहा, ‘हम देश में एक प्रयोगशाला स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं जो जमीन का ऑडिट करेगी और जैविक उत्पादों को प्रमाणित करेगी ताकि किसानों को अधिक कीमत मिल सके. अमूल और अन्य इस पर काम कर रहे हैं. इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा’. उन्होंने आगे बताया, ‘2019 के बाद से पीएम मोदी ने किसानों से जैविक खेती करने की अपील की है, जैसे गाय के गोबर की खाद से भूमि की उर्वरता में सुधार होता है. जैविक उत्पादन समय की मांग है’.

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