तुमसर
मंगलवार को उमरवाड़ा रेती घाट पर ट्रक मालिकों और घाट धारकों के बीच हुई बातचीत को लेकर पूरे जिले में विवाद खड़ा हो गया है। वही मामला अब नया मोड़ लेता नजर आ रहा है। बालू का कारोबार किस तरह से रेगुलेट होता है और पूरा जिला प्रशासन अपनी जेब में रखता है। इसका खुलासा करने वाला ऑडियो क्लिप तुमसर तालुका में वायरल हो गया है। वायरल क्लिप में संबंधित रेत घाटों को चलाने वाले माफिया की बात करते हुए वह यह दिखावा करते दिख रहे हैं कि उनकी प्रशासनिक कार्रवाई में कुछ भी गलत नहीं हो रहा है। क्लिप में यह भी चर्चा की गई है कि कैसे उमरवाड़ा घाट अवैध रूप से संचालित होता है। लेकिन उस ऑडियो क्लिप में साफ दिख रहा है कि प्रशासन के आशीर्वाद की जड़ें कितनी गहरी हैं। मंगलवार की शिकायत के निपटारे को लेकर बालू माफियाओं का घेरा काफी गरमा गया है। तिरोडा में घाटकुरोड़ा परमिट को लेकर मंगलवार सुबह ट्रक मालिकों ने तुमसर के उमरवाड़ा रेती घाट पर तीखी नोकझोंक की थी। मामला पुलिस, राजस्व विभाग चलता रहा लेकिन किसी ने कार्रवाई की सुई नहीं फेर दी। इसके अलावा, शिकायतकर्ता और संबंधित घाट माफिया के बीच मध्यस्थ की फोन रिकॉर्डिंग वायरल हो गई है। इसलिए उमरवाड़ा मामले ने प्रशासन को भी संदेह के कगार पर खड़ा कर दिया है। वायरल हो रहे ऑडियो क्लिप में माफिया की ओर से कही गई बातों का सामान्य अर्थ जिला प्रशासन के सामने आता नजर आ रहा है। शिकायत वापस लेने को लेकर फोन पर हुई बातचीत भंडारा जिले में रेत माफिया नेटवर्क और प्रशासन पर उसके दबदबे पर उंगली उठा रही है। उस वायरल क्लिप से इस बारे में पर्याप्त जानकारी है कि कैसे उमरवाड़ा रेती घाट बिना लाइसेंस और अन्य जगह रॉयल्टी पर संचालित होता है। हालांकि, अगर क्लिप गलत है, तो प्रशासन ने अब तक माफिया को अपना हिस्सा क्यों नहीं दिखाया? यह एक बड़ा आश्चर्य है! तहसीलदार तुमसर ने शिकायतकर्ताओं से उमरवाड़ा घाट और रायल्टी घाट के संबंध में लिखित शिकायत मांगी है। हालांकि पता चला है कि अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वायरल क्लिप का नया मुद्दा प्रशासन की आंखें खोलने वाला है। अब सबकी नजर तहसीलदार की कार्रवाई पर है। हालांकि, माफिया प्रशासन से नहीं डरते हैं, बल्कि रेत के वित्तीय हितों से भी डरते हैं। यह मुख्य विषय बन गया है। हालांकि, इस रेतीले तूफ़ान से जिला प्रशासन और उसकी ड्यूटी विजिलेंस सचमुच चरमराती हुई नज़र आ रही है।