दिग्रस।
बीते 2 सालों से देशभर में हर उत्सव और त्योंहार की खुशियां मानो कोरोना संक्रमण, लॉकडाउन और कोविड19 के कड़े दिशनिर्देशों की भेंट चढ़ गई हैं। राज्य के सबसे बड़े पर्वों में से एक गणेशोत्सव भी इससे अछूता नही है। सरकार द्वारा जारी कड़े दिशनिर्देशों और स्थानीय प्रशासन की चरमराई व्यवस्था ने जहाँ बाप्पा के आगमन का मजा किरकिरा कर दिया वहीं अब आगामी रविवार, 19 सितंबर को होने जा रही बप्पा की विदाई (गणेश विसर्जन) भी प्रशासन की बेखयाली से बेरंग होती नजर आ रही है।
कोरोना संक्रमण के मद्देनजर शुरू हुआ सख्ती और पाबंदियों का दौर कोरोना संक्रमण के मामलों में आयी भारी गिरावट के बाद भी थम नही रहा। जिसका विपरीत परिणाम देशभर के विभिन्न समुदायों के रमजान ईद, बकरी ईद, संक्रांत, मोहर्रम, बैल पोला और गणेशोत्सव आदि अनेकाविध त्योहारों और उत्सवों पर साफ देखा जा रहा है। हालांकि सरकार और जिला प्रशासन द्वारा त्योहार मनाने में कई तरह की छूट दी गयी है, लेकिन त्योहारों की व्यापकता और महत्वता देखते हुए दी गयी सहूलतें नाकाफी मालूम होती है। मालूम हो कि भारतीय समाज उत्सवप्रिय समाज है। यहाँ हर माह दो माह में कोई न कोई किसी न किसी धर्म समुदाय का बड़ा त्यौहार होता है। ऐसे में बीते 2 सालों से त्योहारों का मजा किरकिरा होने से लोग कानून की लगातार जारी सख्ती और कड़े सरकारी निर्देशों से उकता गए है।
भगवान भरोसे दिग्रस पालिका प्रशासन-
ऐसे में जहां तक दिग्रस शहर की बात है तो यहां लोग केवल सरकारी दिशनिर्देशों के कड़ाई से पालन करने की सख्ती के साथ ही पालिका प्रशासन की चरमराई व्यवस्था से भी लोग सख्त नाराज है। शहर में पालिका प्रशासन की अनदेखी और त्योहार पूर्व तैयारियों को लेकर जारी स्थानीय प्रशासन का निरंतर उदासीन रवैया आग में घी का काम कर रहा है। शहर की सड़कें बदहाल है, नतीजन बारिश से नालियां ओवरफ्लो होने, सड़कों पर गड्ढो में पानी भरने, यातायात में दिक्कतें आने, संकरे रास्तों पर बेतरतीब पार्किंग से आवाजाही बाधित होने जैसी बुनियादी समस्याओं का समाधान करने में स्थानीय पालिका प्रशासन पूरी तरह विफल हुआ है। ऐसे में सूत्रों की माने तो पालिका मुख्यधिकारी शेषराव टाले की एक के बाद एक छुट्टियां जारी है। ऐसे में उनकी आये दिनों अनुपस्थिति के चलते शहर के सामान्य लोग त्योहारों के संदर्भ में किसको अपना दुखड़ा सुनाए या समस्या बताएं यह भी एक सवाल बना हुआ है।
बाज नही आते सियासी नुमाईंदे-
आश्चर्य इस बात का भी है कि त्योहारों पर बड़ी बड़ी होर्डिंग्स,बैनर्स और फ्लेक्स लगाकर अपने काम से ज्यादा नाम का डंका पीटने वाले अधिकतर जनप्रतिनिधियों, नगरसेवकों और विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने भी त्योहारपूर्व तैयारियों को लेकर स्थानीय प्रशासन से सड़कों की मरम्मत,नालियों की साफसफाई, पार्किंग की अस्थायी सुविधा के लिए न कोई प्रस्ताव रखा और नही कोई मांग उठाई। वैसे भी वर्तमान दौर के ज्यादातर सियासी नुमाईंदे त्योहार और उत्सवों पर पर भी सहूलत की राजनीति को चमकाने से बाज नही आते। यही हाल दिग्रस का भी है।