मुंबई। (एजेंसी)। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को कथित एक करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत 15 नवंबर तक बढ़ा दी. प्रवर्तन निदेशालय ने देशमुख को पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया था. विशेष अवकाशकालीन अदालत ने छह नवंबर को 71 वर्षीय राष्ट्रवादी कांग्रेस नेता देशमुख को न्यायिक हिरासत में भेजा था और ईडी की हिरासत की मांग खारिज कर दी थी. इसके एक दिन बाद ही बंबई उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए देशमुख को 12 नवंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया था. पूर्व मंत्री को शुक्रवार को पीएमएलए की अदालत के न्यायाधीश एचएस सठभाई के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने उनकी हिरासत की अवधि 15 नवंबर तक बढ़ा दी.
परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख के खिलाफ और सबूत न होने का हलफनामा भेजा
इस बीच अनिल देशमुख पर 100 करोड़ की वसूली का आरोप लगाने वाले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने इस मामले की जांच कर रहे चांदीवाल आयोग को एक हलफनामा भेजा है. इस हलफनामे में उन्होंने कहा है कि उनके पास अनिल देशमुख के खिलाफ और कोई सबूत नहीं हैं. महाराष्ट्र सरकार की ओर से इस मामले की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल के नेतृत्व में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया है.
क्या है पूरा मामला?
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार को पत्र लिखकर पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए थे. परमबीर सिंह का आरोप था कि अनिल देशमुख सचिन वाझे सहित पुलिस अधिकारियों का इस्तेमाल मुंबई के बार और रेस्टोरेंट्स से वसूली के लिए कर रहे हैं. परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को 100 करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट दिया है. इसके बाद एपीआई सचिन वाझे पर भी इस मामले में कार्रवाई की गई और उन्हें मुख्य आरोपी के तौर पर अरेस्ट किया गया. अनिल देशमुख के निजी सचिव संजीव पालांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को इस मामले में दो महीने पहले गिरफ्तार किया गया. सचिन वाझे फिलहाल महाराष्ट्र पुलिस की कस्टडी में है.सचिन वाझे की भी आज क्राइम ब्रांच की कस्टडी खत्म हुई. आज फिर सचिन वाजे को 13 नवंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया.