नई दिल्ली। अगर पति और पत्नी दोनों समान रूप से कमा रहे हैं तो ऐसे में पत्नी गुजारा भत्ता की हकदार नहीं हो सकती है। यह फैसला दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब दोनों पति-पत्नी समान योग्यता रखते हों और समान रूप से कमा रहे हों तो ऐसे में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 के तहत पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण नहीं दिया जा सकता।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और नीना बंसल कृष्णा ने इस बात पर जोर दिया कि धारा ने 24 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वैवाहिक मामले के दौरान पति-पत्नी में से किसी को भी वित्तीय बाधाओं का सामना न करना पड़े, क्योंकि वित्तीय संसाधनों की कमी उन्हें (वैवाहिक जीवन में) पूरी तरह से भाग लेने से रोक सकती है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने अपने 11 अक्तूबर के फैसले में कहा, हमारा मानना है कि वर्तमान मामले में, जहां दोनों पति-पत्नी समान रूप से योग्य हैं और समान रूप से कमा रहे हैं, वहां अधिनियम की धारा 24 के तहत पत्नी को अंतरिम भरण-पोषण नहीं दिया जा सकता है। अधिनियम की धारा 24 के तहत कार्यवाही का उद्देश्य दोनों पति-पत्नी की आय को बराबर करना या अंतरिम भरण पोषण देना नहीं है। कोर्ट ने केएन बनाम आरजी मामले का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी कीं।
अदालत पति और उसकी अलग रह रही पत्नी द्वारा दायर दो अपीलों पर सुनवाई कर रही थी। दरअसल एक फैमिली कोर्ट ने पति को बच्चे के भरण-पोषण के लिए प्रति माह 40,000 रुपए प्रदान करने का निर्देश दिया था, लेकिन पति ने भरण- पोषण के लिए पत्नी के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
Sunday, November 24, 2024
Offcanvas menu