नीलमणि और दामोदर को ज्ञानपीठ पुरस्कार

 नई दिल्ली. ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने वर्ष 2021 और वर्ष 2022 के लिए क्रमश:  56वां और 57वां ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा की. वर्ष 2021 के लिए असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन को तथा वर्ष 2022 के लिए कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउजो को दिए जाने की घोषणा की गई है. असम के गोलघाट जिले में 10 सितंबर 1933 को जन्मे नीलमणि फूंकन मूलत: असमिया भाषा के भारतीय कवि और कथाकार हैं. उनका कैनवास विशाल है, उनकी कल्पना पौराणिक है, उनकी आवाज लोक-आग्रह बोली है, उनकी चिंताएं राजनीतिक से लेकर कॉस्मिक तक, समकालीन से लेकर आदिम तक हैं. वह जिन परिदृश्यों का उदाहरण देते हैं वे महाकाव्यात्मक और मौलिक हैं. उन्होंने कविता की तेरह पुस्तकें लिखी हैं. सूर्य हेनो नामि अहे एई नादियेदी, मानस-प्रतिमा और फुली ठका,  सूर्यमुखी फुल्तोर फाले आदि उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियां हैं. वर्ष 2022 के लिए 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार जाने-माने कोंकणी लेखक दामोदर मौउज़ो को प्रदान किया जाएगा. दामोदर मौउज़ो गोवा के उपन्यासकार, कथाकार, आलोचक और निबन्धकार हैं. इनके द्वारा रचित एक उपन्यास कार्मेलिन के लिए उन्हें सन् 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार (कोंकणी) से सम्मानित किया जा चुका है. दामोदर माऊज़ो का जन्म 1 अगस्त 1944 को हुआ था. इनकी अब तक 4 कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुकी है.

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