नागपुर के दो सरकारी अस्पतालों में भी 24 घंटे में 23 मरीजों की मौत

महाराष्ट्र के अस्पतालों से बुरी खबर आने का सिलसिला जारी है। नागपुर महानगर में एक सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 14 मरीजों की मौत हो गई, जबकि यहां के एक दूसरे सरकारी अस्पताल में इसी अवधि में 9 अन्य मरीजों ने अपनी जान गंवाई। इस तरह से महानगर के दोनों अस्पतालों में 24 घंटे के अंदर 23 मरीजों की मौत हो गई। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
नांदेड़ स्थित डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज में 30 सितंबर से दो अक्तूबर के बीच 48 घंटों में 31 मरीजों और छत्रपति संभाजीनगर में एक सरकारी अस्पताल में 24 घंटे की अवधि में 18 मरीजों की मौत के तुरंत बाद इन अस्पतालों के अधिकारियों ने यह आंकड़े साझा किए हैं।
अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि नागपुर स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जीएमसीएच) में बुधवार सुबह आठ बजे समाप्त हुए 24 घंटों में 14 मरीजों की मौत हुई है। जीएमसीएच के अध्यक्ष (डीन) डॉ. राज गजभिये ने बताया कि अस्पताल की क्षमता 1900 बेड की है। औसतन 10 से 12 मरीजों की मौत रोजाना होती है।
अस्पताल का तर्क
उन्होंने बताया कि अस्पताल में जिन मरीजों की मौत होती है उनमें से ज्यादातर या तो अंतिम क्षणों में आने वाले मरीज होते हैं या फिर वे होते हैं जिन्हें गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती करने की जरूरत होती है। ऐसे मरीजों को गंभीर स्थिति में जीएमसीएच लाया जाता है।
आईजीजीएमसीएच में 24 घंटे में 9 मरीजों की मौत
उन्होंने बताया कि पूरे मध्य भारत से आए मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है। इंदिरा गांधी सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल (आईजीजीएमसीएच) के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि ठीक इसी तरह आईजीजीएमसीएच में 24 घंटे में 9 मरीजों की मौत हुई है।
गंभीर हालत में लाए गए मरीज
अधिकारी ने बताया कि जिन मरीजों की मौत हुई है, उनमें से अधिकतर को यहां गंभीर अवस्था में लाया गया था। इनमें वह मरीज भी शामिल हैं, जिन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत थी। उन्होंने बताया कि पूरे विदर्भ क्षेत्र के मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है।
क्षमता 800 बेड की, रोजाना 6 मरीजों की होती है मौत
अधिकारी ने बताया कि आईजीजीएमसीएच की क्षमता 800 बेड की है। रोजाना औसतन छह मरीजों की मौत होती है। अधिकारी ने बताया कि अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में दवाएं और अन्य सुविधाएं मौजूद हैं।

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