नए नवेले सीमेंट रास्ते को मरम्मत की जरूरत क्यों? दिग्रस-दारव्हा रास्ते के निर्माणकार्य में भारी धांदली की आशंका!

शहर के दिग्रस-दारव्हा रोड को बने हुए अभी कुछ चंद महीने ही गुजरे थे। लेकिन मात्र 6 माह के भीतर ही इस रास्ते को मरम्मत की जरूरत पड़ गयी है। आखिर करोड़ो की लागत से बने इस रास्ते के निर्माणकार्य में ऐसी कौनसी कोताही बरती गई? यह एक बड़ा सवाल है।
उपरोक्त रास्ते पर जारी मरम्मत कार्य रास्ते के निर्माणकार्य मे हल्के दर्जे की सामग्री के इस्तेमाल के साथ ही भारी धांदली का भी संकेत दे रहा है। दिग्रस शहर में मानोरा चौक से नए बस स्टैंड और चिचोली गांव तक के हाल ही में बने बनाए सीमेंट रास्ते की मरम्मत का काम तेजी से जारी है। चौकाने वाली बात यह है कि बीते 6 से 8 महीने पहले ही इस रास्ते का काम पूरा हुआ था और महज कुछ दिनों के भीतर ही इस रास्ते को मरम्मत की जरूरत पड़ गयी। इस बात से साफ है कि इस रास्ते का ठेका चलाने वाली कंपनी और इस काम की देखरेख करने वाले अभियंताओं का लापरवाह रवैया न सिर्फ उजागर हो चुका है बल्कि उनकी पोल खुलने के साथ ही राज्य महामार्ग के तहत आने वाले इस महत्वपूर्ण रास्ते के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार की आशंका भी गहरा गयी है।
दिग्रस शहर और परिसर में जारी क़ई विकासकार्यो का कच्चा चिट्ठा एक एक कर के उजागर हो रहा है। ज्ञात रहे की, रास्तों के निर्माण कार्यो को शुरू करने के पहले उसका जोर शोर से डंका पीटा गया था लेकिन जितने जोर से डंका पीटा गया था उतने ही जोर से खोखले विकासकार्य औंधे मुंह गिरने लगे है। मानोरा रोड से चिचोली गांव के रास्ते पर बीते कुछ दिनों से पाटिल इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के मजदूर मरम्मत के काम में व्यस्त है। वो इस रास्ते पर दोबारा सीमेंट की नई परत चढ़ा रहे है। इस रास्ते के और साथ वाले रैंप भारी दरारे भी कैमरे में कैद हुई है जिस से संबंधित कंपनी द्वारा काम मे बरती गई कोताही के साथ ही इस रास्ते के निर्माणकार्य में हल्के दर्जे की सामग्री के इस्तेमाल का शक यकीन में गहराता जा रहा है। ऐसे में इस पूरे क्रियाकलाप में भारी भ्रष्टाचार की आशंका है। इसलिए संबंधित कंपनी, ठेकेदार और अभियंता आदि की सख्ती से जांच कर उनपर कारवाई करने की मांग दिग्रस की जनता कर रही है।

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