देश का प्राचीन नाम भारत -अखिल भारतीय समन्वय समिति की बैठक में आरएसएस ने कहा

इंडिया बनाम भारत पर जारी बहस के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश का नाम भारत रखने की वकालत की है। पुणे में तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय समिति की बैठक के बाद संघ ने कहा कि दुनिया में किसी भी देश के दो नाम नहीं हैं। भारत इस देश का प्राचीन नाम है और यही नाम सभ्यता का मूल भी है। बैठक में मणिपुर में जारी हिंसा पर चिंता व्यक्त की गई। साथ ही सामाजिक असमानता दूर करने के लिए आरक्षण को जरूरी बताया गया। संघ के सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि देश का नाम भारत ही है और यह भारत ही रहना चाहिए। यह प्राचीनकाल से देश का प्रचलित नाम है। वैद्य ने कहा कि भारत दुनिया का इकलौता देश है, जिसके दो नाम है। इस खामी को दूर करते हुए देश को प्राचीन काल से प्रचलित नाम से ही जाना जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि सत्ता परिवर्तन के बाद भारत धीरे-धीरे अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ दुनिया में उभरने लगा। विदेश, रक्षा और शिक्षा संबंधी नीतियों में दुनिया की उम्मीदों के अनुरूप बड़े बदलाव हुए हैं। इसके अलावा जो कुछ गलत हुआ है उसे सुधारने में कम से कम 25-30 साल और लगेंगे। वैद्य ने मणिपुर में कई महीनों से जारी जातीय हिंसा पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि दो समुदायों के बीच संघर्ष चिंताजनक है। चूंकि संघर्ष दो समुदायों के बीच है, ऐसे में इस मामले में सरकार को निर्णय लेने की जरूरत है। हमारे स्वयंसेवक कुकी और मैतई समुदायों के बीच काम कर रहे हैं। दोनों समूहों के संपर्क में हैं। हालांकि संघर्ष खत्म करने के लिए सरकार को निर्णय लेना होगा।
वैद्य ने इस दौरान सभी वर्गों को समान अवसर उपलब्ध कराने और सामाजिक असमानता खत्म करने के लिए आरक्षण व्यवस्था का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भारत में एससी, एसटी से जुड़े लोग दशकों से सम्मानसुविधाओं और शिक्षा से वंचित थे। इन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था की गई है। सामाजिक असमानता और भेदभाव दूर करने के लिए यह आवश्यक है।तेजी से हो रहा है संघ का विस्तार
वैद्य ने इस दौर संघ के विस्तार की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से पहले फरवरी 2020 तक 62491 शाखाएं 38913 स्थानों पर चल रही थी। अब यह संख्या 68651 हो गई है। संघ ने 20303 स्थानों पर साप्ताहिक बैठकें और 8732 स्थानों पर मासिक मंडलियाँ आयोजित कीं।महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर चर्चा वैद्य ने कहा कि समाज में महिलाओं की बढ़ रही भागीदारी सराहनीय है। संघ की संघ की शताब्दी योजना के तहत महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर चर्चा की गई। महिलाओं की अधिक भागीदारी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साल 2025 तक देश भर में 211 सम्मेलन आयोजित करने का लक्ष्य रखा है। अब तक, 12 प्रांतों में 73 ऐसे सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं, जिन्हें अच्छी प्रतिक्रिया मिली है, जिसमें 1.23 लाख से अधिक महिलाओं ने भाग लिया है।

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