नासिक। (एजेंसी)।
पिछले तीन सालों में राज्य की विभिन्न आदिवासी आश्रमशालाओं में अलग-अलग कारणों से 353 छात्रों की मौत हुई है. इसमें अधिकांश बच्चों की मौत माता-पिता के पास रहते समय ही हुई है.
इसके बाद भी राज्य सरकार द्वारा मृतक बच्चों के अभिभावकों को दो लाख रुपए का अनुदान वितरित किया गया है.
छात्रों की मौत के बाद सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनुदान के वितरण को लेकर भी टालमटोल रवैया अख्तियार किया जा रहा है. मृत छात्रों के अभिभावकों को आदिवासी विकास विभाग द्वारा दो लाख का सानुग्रह अनुदान दिया जाता है. अधिकांश पालकों को अनुदान
मिला है. वर्ष 2020-21 के 19 छात्रों के पालक अभी भी अनुदान से वंचित हैं.
राज्य में 499 आश्रमशालाएं
राज्य में कुल 499 शासकीय आश्रमशालाएं चलाई जाती हैं. यह अनुदान योजना 2018 से चलाई जा रही है. विद्यालय में छात्रों की मौत होने पर उसकी जिम्मेदारी शाला प्रशासन की रहती है. वर्ष 2018-19 में 88, 2019-20 में 119 तथा 2020-21 में 146 छात्रों की मौत हुई है. इस दौरान तक कुल 353 छात्रों की मौत
होने की जानकारी है. पहले दो साल में मरे सभी छात्रों को राज्य सरकार द्वारा सानुग्रह अनुदान वितरित किया
है. लेकिन इस साल के 19 छात्र अभी भी अनुदान से वंचित हैं.
कैसे हुई मौत ?
आश्रमशाला के छात्रों की मौत के अलग-अलग कारण हैं. इनमें दुर्घटना, सर्पदंश, ऊंचाई से गिरने, कुएं में गिरने से कुछ छात्रों की मौत हुई है. कई बार विद्याथीं गांव को जाते हैं. वे माता-पिता के साथ काम करने जाते हैं, जहां इस तरह के हादसे हो जाते हैं. इस मामले को ट्रायबल फोरम के अध्यक्ष प्रमोद घोंडाम गंभीर बताते हैं. उनके
मुताबिक आश्रमशाला में अधीक्षक, गृहपाल गायब रहते
हैं. बच्चों पर ध्यान नहीं दिये जाने से मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है.