तिहरे हत्याकांड के आरोपी बिरहा की फांसी हुई रद्द

नागपुर। तिहरे हत्याकांड के दोषी राजू छन्नूलाल बिरहा (55) की फांसी की सजा बरकरार रहेगी या नहीं, इस पर बना सस्पेंस आज खत्म हो गया. मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने बिरहा की फांसी की सजा को रद्द करते हुए उसे दोहरे आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने आज मंगलवार 31 अक्तूबर को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट के आदेश के बाद नागपुर मध्यवर्ती कारागृह के अधिकारी ने बिरहा के व्यवहार पर रिपोर्ट पेश की थी।
बता दें कि 28 दिसंबर 2022 को नागपुर सत्र न्यायालय ने तिहरे हत्याकांड में दोषी करार देते हुए कुख्यात राजू बिरहा को फांसी की सजा सुनाई थी। फौजदारी प्रक्रिया संहिता की कलम 366 के अनुसार सजा क्रियान्वित करने के लिए हाई कोर्ट की मुहर अनिवार्य है। इसलिए सत्र न्यायालय ने यह मामला हाई कोर्ट के समक्ष रखा था।
वहीं, राजू बिरहा ने भी अपील दायर की थी। जुलाई में न्या. विनय जोशी और न्या. वाल्मीकि मेनेझेस के समक्ष अंतिम सुनवाई हुई, जिसके बाद सभी का पक्ष सुनकर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। मंगलवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनते हुए फांसी की सजा को रद्द करते हुए आरोपी की सजा को दोहरे आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया।
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से एड. संजय डोईफोडे, जबकि आरोपी की ओर से एड. अनिल मार्डीकर व एड. सुमित जोशी ने पैरवी की।
क्या था मामला
17 नवंबर 2015 की रात 9 से 10 बजे के बीच हिंगना थाना अंतर्गत आने वाले मौजा वागधरा क्षेत्र में यह घटना घटी थी। दरअसल कई दिनों से राजू बिरहा और सुनील कोटांगले के बीच पान टपरी की जगह को लेकर विवाद चल रहा था। ऐसे में घटना के वक्त जब सुनील अपने मित्र आशीष ऊर्फ गोलू गायकवाड़ और कैलाश बहादुरे के साथ खड़े होकर आपस में बात कर रहे थे, तब बिरहा अपने साथी कमलेश के साथ वहां आ पहुंचा और उसने सत्तूर से सुनील पर हमला कर उसे वहीं पर ढेर कर दिया। इस दौरान आशीष और कैलाश जब भागने लगे, तो उसने बाइक से दोनों का पीछा किया और उन्हें भी मौत के घाट उतार दिया था।

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