डीजे की कर्कश आवाज पर भड़के राज ठाकरे

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि सभी राजनीतिक नेताओं, सरकार, सामाजिक बुद्धिजीवियों और गणेशोत्सव मंडलों को पहल करनी चाहिए और गणेशोत्सव को कुछ हद तक बदसूरत रूप लेने से रोकना चाहिए। इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार, सभी गणेशोत्सव मंडलों और समाज के बुद्धिजीवियों को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने मुख्य रूप से डीजे की आवाज से लोगों को हो रही परेशानी को गंभीरता से लिया है।
राज ठाकरे ने पत्र में कहा है कि महाराष्ट्र में गणेशोत्सव बिना किसी बाधा के संपन्न हो गया। इसे संभव बनाने में जुटी प्रशासनिक मशीनरी को हार्दिक बधाई। हमेशा की तरह अपने घर के उत्सव, त्योहार की खुशियों से हटकर उनकी ओर से किया गया कार्य निश्चित रूप से सराहनीय है। आज मैं जो बात कर रहा हूं महाराष्ट्र में हाल ही में संपन्न हुआ महाउत्सव और उसके बदलते स्वरूप पर। चाहे वह गणपति, दहीहांडी या नवरात्रि उत्सव हो, चाहे वह रामजन्म या अन्य हिंदू देवी-देवताओं का त्योहार हो, उन्हें इस देश में उत्साह के साथ मनाया जाना चाहिए।
अगर सरकारें इस पर प्रतिबंध लगाती भी हैं, तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने सरकार से लड़ाई की है और जरूरत पड़ने पर ऐसा करती रहेगी। हमारी एक जनजाति है जो हमारे धर्म के उत्सवों का विरोध करती है। दूसरे धर्मों के उन्माद पर चुप रहती है लेकिन हमने उन्हें चुप करा दिया है। अतः यह निश्चित है कि हमें धर्म आदि की शिक्षा कोई नहीं दे सकता।
ठाकरे ने पत्र में आगे कहा क‍ि इस त्योहार के 10 दिनों के दौरान और मुख्य रूप से जुलूसों के दौरान डीजे, डॉल्बी के तेज साउंड लेवल के कारण हार्ट अटैक और मृत्यु, या अस्थायी या स्थायी बहरापन, या लेजर लाइट के कारण आंखों की रोशनी की हानि बढ़ गई है। इसमें लोग जुलूस के रूप में आते हैं। नाचते हैं। खुशी का इजहार करते हैं और चले जाते हैं। लेकिन इलाके में रहने वाले पुलिसकर्मी या अन्य प्रशासनिक एजेंसियों, स्थानीय निवासियों की हालत वाकई गंभीर होती है।
इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर लगातार 24-24 घंटों के बाद कई लोगों की सुनने की क्षमता खत्म हो जाए। क्या यह हमारी खुशी और जश्न के लिए चुकाई जाने वाली कीमत नहीं है?
युवक की मौत च‍िंता की बात
पत्र के मुताब‍िक, इसी बीच खबर आई कि एक परिवार में एक युवक की मौत हो गई है और बाहर बज रहे डीजे की आवाज बंद करने को कहने पर उस घर के लोग नाराज हो गए। उनकी पिटाई कर दी गई। यह केवल एक घटना नहीं है। कुछ तो ऐसा जरूर है जो हमें सोचने पर मजबूर कर देता है कि हम कहीं न कहीं गलत हो रहे हैं।

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