डंपिंग ग्राउंड जा रहे कचरे से लदे वाहनों को किसानों ने रोका

मंगलवार को शहर का कचरा डंपिंग ग्राउंड में खाली करने के लिए जा रहे कचरे से लदे वाहनों को किसानों ने रोक दिया। डंपिंग ग्राउंड का कचरा खेतो और कुंओं में फैलने से खेती बाड़ी के काम बुरी तरह प्रभावित हो रहे है। इस आशय का आरोप करते हुए निम्भा स्थित डंपिंग ग्राउंड परिसर के किसानों ने पालिका प्रशासन की बेतरतीब कार्यप्रणाली का पुरजोर विरोध किया। ज्ञात हो कि सरकार करोड़ो रुपयों को फूंक कर बनाया गया यह डंपिंग ग्राउंड परिसर के किसानों के लिए आफत बन गया हैं। यहां रोजाना कई टन सूखा कचरा बेतरतीब तरीके से उंडेला जाता है। जो उड़ कर परिसर के खेतों में पसरता रहता है। जिस वजह से आस पास के न सिर्फ खेत बल्कि खेतों के कुएं भी कचरे की भरमार से पटे पडे है।जी का जंजाल बन चुकी इस समस्या को लेकर पीड़ित किसानों ने पहले भी कई बार पालिका प्रशासन का दरवाजा खटखटाया लेकिन कारवाई के नाम पर उनको केवल ढकोसला ही मिला। ऐसे में इस परेशानी से तंग आकर किसानों ने मंगलवार को यहां कचरा उंडेलने आये वाहनों को रोक कर रोष प्रदर्शन कर समस्या के तत्काल निवारण की मांग उठाई है। मांग पूरी न होने ने उन्होंने ने फांसी लगाकर आत्महत्या करने तक कि चेतावनी भी पालिका सहित स्थानीय प्रशासन को दी है। मालूम हो कि हिरा बालापूरे, पुंडलिक थोरात, वंदना शिंदे इन किसानों ने पहले भी कई बार पालिका को सम्बन्धित समस्या से अवगत कराया लेकिन, प्रशासन ने अब तक कोई ठोस हल ढूंढने की कोशिश तक नही की है।सूत्रों ने बताया कि 7 जून मंगलवार को जब इन किसानों ने कचरे की घण्टा गाड़ियों को रोक कर विरोध जताया तब इस हरकत की खबर लगते ही पालिका के जलापूर्ति विभाग में अभियंता गौरव मांडले
और स्वास्थ्य निरीक्षक कैलास कालोसे ने घटनास्थल का रुख किया, लेकिन न तो उन्होंने पीड़ित किसानों से बात की और ना ही खेतो का निरीक्षण किया। बहरहाल पालिका प्रशसन कि बिगड़ैल नीति और अडियल अधिकारी और कर्मचारियों ने असंवेदनशील रवैये से किसानों के गुस्से को और ज्यादा भड़का दिया है। जिस वजह से किसानों ने डंपिंग ग्राउंड को लेकर जारी उनका विरोध प्रदर्शन और ज्यादा तेज करने के संकेत दे दिए है।

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