नागपुर। (नामेस)। कोरोना पाबंदियों में ढील मिलते ही सड़कों पर एक बार फिर भीड़ देखने को मिल रही है। नतीजतन, दुर्घटना-दर में वृद्धि हुई है। पिछले 55 दिनों में नागपुर जिले में 162 हादसे हो चुके हैं, जिनमें 113 लोगों की जान चली गई। इससे रोजाना करीब 3 हादसे हो रहे हैं और 2 लोगों की मौत हो रही है। भारत में प्रतिदिन औसतन 250 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। हर दिन 700 लोग घायल होते हैं और हमेशा के लिए विकलांग हो जाते हैं। खासकर 20 से 40 साल के बीच के युवा बड़ी संख्या में हादसों का शिकार हो रहे हैं, जिसका सीधा असर परिवार पर पड़ता है। चूंकि 70 से 80 प्रतिशत दुर्घटनाएं मानवीय भूल के कारण होती हैं, इसलिए इनसे बचा जा सकता है। इसके लिए सड़क उपयोगकर्ताओं द्वारा यातायात नियमों के प्रति जागरूकता और यातायात नियमों का सख्ती से पालन करने की आवश्यकता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि ऐसा नहीं हो रहा है।
शहर में 31 दिनों में 32 की मौत
जनवरी में शहर में 92 हादसे हुए थे। इसमें 32 लोगों की मौत हो गई। 42 लोग गंभीर रूप से घायल हुए, जबकि 18 लोग मामूली रूप से घायल हुए थे। शहर में रोजाना 3 हादसे होते है जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो रही है।
55 दिनों में ग्रामीण में 81 मौत
जनवरी महीने में ग्रामीण नागपुर में 41 हादसे हुए, जिसमें 49 लोगों की मौत हो गई। 1 फरवरी से 24 फरवरी के बीच 29 हादसों में 32 मौतें हुईं। पिछले 55 दिनों में 70 दुर्घटनाओं में कुल 81 मौतें हुई हैं। नतीजतन, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन एक से अधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं और इतनी ही संख्या में लोगों की जान जा रही है।
केवल नाम का सड़क सुरक्षा अभियान!
सड़क सुरक्षा और इसके महत्व को बढ़ाने और सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने के उद्देश्य से हर साल जनवरी के दूसरे सप्ताह में सड़क सुरक्षा अभियान चलाया जाता है। नागपुर जिले में दुर्घटना पीड़ितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह कहने का समय आ गया है कि सड़क सुरक्षा अभियान कहां है?