मुंबई. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने महाराष्ट्र के पालघर जिले के तारापुर एमआईडीसी क्षेत्र में लगभग 100 औद्योगिक इकाइयों को कुल मिलाकर करीब 186 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है. एनजीटी ने इन इकाइयों के खिलाफ यह कार्रवाई क्षेत्र के जल निकायों में अनुपचारित अपशिष्ट प्रवाहित कर उन्हें प्रदूषित करने के लिए की है और उन्हें पर्यावरणीय मुआवजे का भुगतान करने के लिए कहा है. 24 जनवरी को एनजीटी की ओर से पारित आदेश में इस तरह के अपराध करने के बाद भी औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई करने में विफल रहने पर प्रवर्तन निदेशालय की भी खिंचाई की गई है. इसमें कहा गया है कि ईडी की ओर से इसके खिलाफ कोई कदम न उठाए जाने से इन इकाइयों को प्रोत्साहन मिला और इन्होंने नियमों का उल्लंघन करना जारी रखा.
एमआईडीसी पर भी लगाया दो करोड़ का जुर्माना
इसने कहा कि ईडी पीएमएलए के तहत एक संकीर्ण दायरे में कार्रवाई कर रही थी, हालांकि संशोधनों के बाद साल 2013 में इस कानून का दायरा बढ़ा दिया गया था. इसके साथ ही एनजीटी ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के अधिकारियों के अत्यंत लापरवाह और ढीले रवैये, गैर प्रमाणिक आचरण और कर्तव्य के प्रति समर्पण की कमी को लेकर उनकी आचोलना की और कार्य गंभीरता से करने की नसीहत दी. एनजीटी ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) पाइपलाइनों के रखरखाव का काम सुनिश्चित करने में असफल रहा और नियमित रूप से कीचड़ की निकासी न करके इसने प्रदूषण फैलाने में भूमिका निभाई है. इसके साथ ही एनजीटी ने एमआईडीसी को दो करोड़ रुपये और तारापुर पर्यावरण सुरक्षा सोसाइटी के सेंट्रल एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट को 91.97 करोड़ का भुगतान करने के लिए कहा है.
तीन महीने के अंदर करना है जुर्माने का भुगतान
आदेश के अनुसार यह भुगतान तीन महीने के अंदर एमपीसीबी को किया जाना है। इस पैसे का इस्तेमाल पर्यावरण सुधार और इलाके में लोगों की स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियों को सुधारने के लिए किया जाएगा। यह पूरा काम एक समिति की निगरानी और दिशा निर्देशन में किया जाएगा। एनजीटी का 500 पन्नों का यह आदेश अखिल भारतीय मांगेला समाज परिषद की ओर से दाखिल की गई शिकायत पर जारी किया गया है.