जल्‍द भारत लाए जाएंगे ‘वाघ नख’

ब्रिटेन के अधिकारी ‘वाघ नख’ को वापस देने के लिए तैयार हो गए हैं। ऐसे में, छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा इस्तेमाल किए गए बाघ के पंजे के आकार के खंजर ‘वाघ नख’ की घर वापसी होने वाली है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस बाघ के पंजे के आकार के खंजर का इस्तेमाल 1659 में बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मारने के लिए किया था।
महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार अक्तूबर में इसे वापस भारत लाने की आधिकारिक प्रक्रिया के लिए लंदन जाएंगे। वहां वे विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे। इसी संग्रहालय में ये नख रखा हुआ है। यदि सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो ‘वाघ नख’ इसी साल देश में आ जाएगा।
वाघ नख वापस लाने पर मंत्री मुनगंटीवार ने कहा कि हम एक अक्तूबर को लंदन जाएंगे। वहां पर 3 अक्तूबर को एक एमओयू पर हस्ताक्षर करेंगे और नवंबर में हम वाघ नख को लेकर लाएंगे। उन्होंने कहा कि एमओयू इसलिए हो रहा है क्योंकि उनके खुद के कुछ नियम शर्ते हैं।
धातु के पंजे या ‘वाघ नख’ एक हथियार है जिसे पोर के ऊपर फिट करने या हथेली के नीचे और नीचे छुपाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एक क्रॉसबार से जुड़े चार या पांच घुमावदार ब्लेड होते हैं। इस हथियार का इस्तेमाल शिवाजी महाराज ने बीजापुर सल्तनत के आदिल शाही वंश के सेनापति अफजल खान को मारने के लिए किया था।
मुनगंटीवार ने कहा था कि ‘जगदंबा’ तलवार और ‘वाघ नख’ उपलब्ध कराने के बारे में पहले ब्रिटिश उप उच्चायुक्त से चर्चा की थी। इसी को लेकर एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया जा रहा है। मंत्री ने 16 अप्रैल को पश्चिमी भारत के ब्रिटिश उप उच्चायुक्त एलन जेम्मेल और राजनीतिक और द्विपक्षीय मामलों के उप प्रमुख इमोजेन स्टोन के साथ बैठक की थी।
आस्था का प्रतीक वाघ नख
मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि हमने सोचा था कि पूरे महाराष्ट्र में इसे जगह-जगह ले जाएंगे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमने एक और योजना बनाई है। देखते हैं आगे क्या होगा। उन्होंने कहा कि वाघ नख हमारे लिए सिर्फ वस्तु नहीं है, बल्कि आस्था का प्रतीक है।

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