चुनाव से पहले ही नेता व पंटर कैम्पेन मोड़ पर

दिग्रस।                  

नगर पालिका चुनावों का बिगुल बजने में अभी भलेही थोड़ा समय बाकी है, लेकिन दिग्रस के अधिकतर नेता और कथित भावी नगरसेवक अभी से मानो चुनावी कैम्पेन मोड़ पर चले गए है, जिस वजह से शहर की वर्तमान समस्याओं की ओर किसी का ध्यान नही है। इन दिनों हर चौक चौराहो पर आगामी नगर पालिका चुनाव को लेकर घनघोर चर्चा और बेलगाम कयासों का दौर चल पड़ा है। शाम होते ही राजनीति में सक्रिय प्रतिनिधि और कथित भावी नगरसेवक अपने पंटरों के साथ चौक चौराहो पर अपनी अपनी सियासी चौपाल सजा रहे है वहीं होटलो सहित गली मुहल्लों में भी जमकर सियासी जमघट जारी है, लेकिन इस बीच कहीं भी शहर के सड़कों की बुनियादी सुविधाओं के अभाव की, रोजमर्रा की नागरी समस्याओ के निराकरण की कहीं कोई चर्चा नही है, सभी ने मानो चुनावी प्रचार की धुनि रमा चुके है।

जमकर जारी हैं चुनावी फील्डिंग-

शहर में जनता की समस्याओं पर न तो विपक्ष को सत्ताधारियो से सवाल पूछना है और न ही कथित नेता और समाज के ठेकेदारों को जनता की समस्याओ से कोई लेनादेना है, सबका एक ही लक्ष्य है के चुनाव कैसे जीता जाए। किसी को बेसब्री से वार्ड फार्मेशन का इंतजार है तो किसी ने अभी से ही वार्ड में चुनावी फील्डिंग लगा रखी है तो वहीं खयाली पैनलों की खिचड़ी भी धीमी आग पर पक रही है। हालांकि शहर के अधूरे पड़े विकास कामो और रोजमर्रा की नागरी समस्याओं को सुलझाने में किसी का ध्यान नही है।

पांच सालों से जस की तस है समस्याएं-

शहर की धावंडा नदी का किनारा इन दिनों गंदगी और कचरे के अंबार से लदा पड़ा हैं, पुराने आरणी नाका पूल से पुरानी नगर पालिका तक पुराने पुल से घंटिबाबा मंदिर से होकर विश्राम गृह तक जाने वाली सड़क बदहाल होती जा रही है। इन सड़को पर गढ़ों का जाल सड़क दुर्घटनाओं का सबब बन रहा है, सागर होटल से सटी बड़ी नाली पर लोहे की जाली बिठाने की फिक्र भी किसी ने नही की जबकि हजारों की तादात में लोग यहाँ से गुजरते है। सत्ताधारी नेताओ की लापरवाही से बीते पांच सालों से अधिकतर समस्याएं जस की तस है उपर से प्रशासन बेफिक्र और सुस्त है और अधिकतर नेता फिलहाल चुनाव जितने की कलाबाजीयो में व्यस्त है।

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