गोंदिया।
कोरोना संक्रमण काल में ग्रामीण क्षेत्र की बस सेवा बंद कर दी गई थी। इसके बाद कुछ क्षेत्रों में सेवा शुरू की गई थी। लेकिन अब तक जिले के ग्रामीण क्षेत्र में बस सेवा नियमित शुरू नहीं होने से विद्यार्थियों सहित नागरिकों को परेशानी उठानी पड़ रही है। जिले के दुर्गम पहाड़ जंगल व्याप्त आदिवासी नक्सल क्षेत्र में अधिकांश नागरिक तथा महिलाओं को काम के लिए तहसील व जिला मुख्यालय आना जाना पड़ता है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश फेरीया बंद होने से निजी वाहनों का सहारा लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसी तरह विद्यार्थियों के साला शुरू होने से आने जाने के लिए असुविधा हो रही है। इसे लेकर ग्रामीण क्षेत्र की बस सेवा तत्काल शुरू करने की मांग की जा रही है। इतना ही नहीं नौकरीपेशा व विद्यार्थियों को तीन से 6 किलोमीटर पैदल आना जाना पड़ रहा है। स्कूल शुरू हो गई है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में बस सेवा बंद होने से शैक्षणिक नुकसान हो रहा है।
ठेकेदार के मनमर्जी अनुसार कार्य-
सालेगांव में मार्ग का निर्माण कार्य शुरू है। जहा ठेकेदार ने मार्ग के बीचो-बीच गिट्टी व रेती डाल दी है। मार्ग का काम जल्द से जल्द कराना था। या वाहनों के लिए जगह छोड़ना था। विद्यार्थी के आने जाने के लिए बस है। जो केवल सालेगांव तक जा रही है। जबकि चारभाटा स्थित विद्यार्थियों को शाला में जाने के लिए बहुत समस्या हो रही है। 2 वर्षों से साला बंद थी। लेकिन अब साला शुरू होने के बाद भी विद्यार्थियों को शाला से वंचित रहना पड़ रहा है।
विद्यार्थियों के लिए बस नहीं-
इस संदर्भ में मैं बड़ेगांव की छात्रा दीपाली सुनील बिसेन ने बताया कि हम सभी विद्यार्थियों सुबह 8:00 बजे से 10:00 बजे तक वडेगाव स्थित बस स्थानक पर बस की प्रतिज्ञा कर रहे हैं। जबकि अब तक बस नहीं है। शासन को नियमित बसों की फेरियां शुरू करना चाहिए। इसी तरह पालक संतोष रावत का कहना है कि कोरोना के भय से शालाएं बंद थी। 4 अक्टूबर से पुन: एक बार शाला शुरू हो गई है। शालेय विद्यार्थियों के लिए नियमित बस फ़रिया शुरू करने की जरूरत है। इस मार्ग पर विद्यार्थियों को घंटों बस की प्रतिज्ञा करनी पड़ रही है।