गोंडेगांव प्रकरण : जांच अधिकारियों को वेकोलि प्रबंधन ने किया गुमराह

वेकोलि नागपुर एरिया अंर्तगत आने वाली गोंडेगांव ओपनकास्ट माईस में ट्रिपटेलर की दुर्घटना के बाद कोयला परिवहन में हो रही धांधली का प्रकरण खुलने तथा नागपुर मेंट्रो समाचार में प्रकरण प्रकाशित होने के बाद वेकोलि महाप्रबंधक सुनील कुमार के आदेश से दो सदस्यों वाली जांच कमेटी गोंडेगांव प्रोजेक्ट पहुंच गई. गोंडेगांव प्रोजेक्ट में कोयला परिवहन को लेकर हो रहीं धांधली की खबर प्रकाशित होने के साथ गोंडेगांव प्रोजेक्ट के अधिकारियों के बीच हडकंप मच गया हैं. इसी बीच वेकोलि मुख्यमहाप्रबंधक कार्यालय से क्षेत्रीय सुरक्षा अधिकारी सुभाष महालपुरे एवं क्षेत्रीय सिकोर्रिटी अधिकारी मेंजर हेंमत सिंह भाकुनी के द्वारा गोंडेगांव प्रोजेक्ट का दौरा किया, इस संर्दभ में पत्रकारों के द्वारा फोन करने पर सुभाष महालपुरे ने मोबाईल नहीं उठाया, जबकि क्षेत्रीय सिकोर्रिटी अधिकारी मेंजर हेंमत सिंह भाकुनी ने फोन उठाने के बाद पीआरओं से संर्पक करने के लिए कहा हैं. इस संर्दभ में वेकोलि गोंडेगांव प्रोजेक्ट के उपक्षेत्रीय प्रबंधक राजेंद्र ठाकरे की पूरी स्थानीय टीम के द्वारा दोनो जांच अधिकारियों को गुमराह कर दिया गया. इस संदर्भ में ध्यान देने योग्य तथ्य यह हैं, कि ट्रिपटेलर पलटने की घटना कोलडंपिंग यार्ड क्रमांक 4 जो की नीचे की ओेर स्थित हैं, जहां पर सीसीटीव्ही कैमरा भी नहीं लगा हैं, वहां पर घटी हैं, परंतु जांच अधिकारियों को कोलडंपिंग यार्ड क्रमांक 4 ना दिखाते हुए दूसरा स्थल दिखाकर जांच टीम को पूरी तहर से गुमराह कर दिया गया. ज्ञात हो की जांच टीम को गुमराह करने के पीछे कोई ना कोई रहस्य जरूर हैं, जिसकों लेकर आगामी अंक में खुलासा जरूर होगा. जबकि दूसरे छोर पर गोंडेगांव प्रोजेक्ट जो की आयएसओं कंपनी के रूप में मान्यता प्राप्त हैं, वहां पर नियमों एवं कानूनों की किस तरह से धज्जीयां उडाई जा रहीं हैं, यह खुली आंखो से दिखाई दे रहा हैं. ज्ञात हो की वेकोलि गोंडेगांव के द्वारा दो दिनों से दिन में क्रसिंग का कोयला भर कर भेजा जा रहा हैं, जबकि रात में खुले आम यार्ड से कोयला भरकर ट्रकों से संबंधित स्थल पर नियमों की धज्जीया उडाकर भेजा जा रहा हैं,जिसमें वेकोलि गोंडेगांव प्रोजेक्ट का चेहरा और मोहरा दोनो समझ में आ रहा हैं. इस प्रकरण में ध्यान देने योग्य तथ्य यह हैं, कि वेकोलि की नियमावली के अनुसार सीधे यार्ड से कोयला भरने का अधिकार ई-ऑक्सन से टेंडर प्राप्त करने वाले ठेकेदार को सीधे यार्ड से कोयला भरने का अधिकार हैं, फिर ट्रिपटेलर यार्ड क्रमांक 4 में बिना किसी बडे अधिकारी के अनुमति के भीतर कैसे गया, यह अपने आप में खोज का विषय बनता जा रहा हैं. इस घटना को लेकर इंटक, आयटक, सीटू, कोयला श्रमिक सभा, बीएमएस सहित किसी भी युनियन के द्वारा इस प्रकरण में किसी भी तरह का हस्ताक्षेप नहीं किया गया हैं, जो की समझ के परे हैं,जबकि एक सामजिक कार्यकर्ता के द्वारा इस प्रकरण की शिकायत डीजीएमएस तक किये जाने की बात नागपुर मेंट्रो समाचार प्रतिनिधी से कहीं गई हैं.

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