क्या बीजेपी के लिए अलग आचार संहिता है?

मुंबई. बालासाहब ठाकरे ने 1987 में हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था, उस समय हमारे पांच से छह विधायकों को चुनाव आयोग ने अयोग्य घोषित कर दिया था। साथ ही बाला साहेब के वोट देने पर भी चुनाव आयोग ने रोक लगा दी थी। तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव आचार संहिता लागू होने पर रामलला के फ्री दर्शन का लालच दिया है। क्या चुनाव आयोग ने उनके लिए नियम से छूट दी है? यह सवाल शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने उठाया है। इसके साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग को एक पत्र भी भेजा है।
उद्धव ने चुनाव आयोग को भेजा पत्र
उद्धव ठाकरे ने गुरुवार दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बीजेपी की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने मतदाताओं को लालच दिया कि अगर बीजेपी को वोट देंगे तो वे रामलला के दर्शन के लिए मुफ्त अयोध्या जाने की व्यवस्था करेंगे। क्या चुनाव आचार संहिता लागू होने पर मतदाताओं को प्रलोभन देना कानूनी है? उधर, इसे लेकर जहां विपक्षी दल आक्रामक हो गए हैं। वहीं इन्हीं मुद्दों पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग को पत्र भी लिखा है।
चुनाव आयोग पर बोला हमला
उद्धव ने कहा कि अगर चुनाव आयोग विपक्षी पार्टी के राहुल गांधी, प्रियंका गांधी को उनके भाषणों के लिए नोटिस भेज रहा है, तो प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि वे काम कर सकते हैं। तो क्या वे(चुनाव आयोग) अमित शाह के भाषणों के बाद भी यही काम करने जा रहे हैं? अगर नहीं तो क्या चुनाव आयोग ने उनके(अम‍ित शाह) लिए अलग आचार संहिता तैयार की?
क्या चुनाव आयोग ने अमित शाह को छूट दी?
उद्धव ठाकरे ने कहा कि देश के गृह मंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश में एक प्रचार सभा में बोलते हुए कहा था कि 1987 में बालासाहब ने हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था। उस समय, हमारे छह विधायकों को निष्कासित कर दिया गया था और बालासाहब के मतदान पर छह साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था। तो क्या चुनाव आयोग ने अमित शाह को छूट दे दी है, जिन्होंने चुनाव आचार संहिता होने पर राम लला के मुफ्त दर्शन का लालच दिया था?

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