कोविड से मनपा की आय में गिरावट

महानगरपालिका के सभी विभाग पूरे वर्ष भर से कोविड-19 के कार्यों में व्यस्त हैं. इसका विपरीत असर मनपा की आय पर हुआ है. इसके अलावा राज्य सरकार ने विशेष अनुदान में भी कमी कर दी है. मनपा की आय के मुख्य स्त्रोत कहलाने वाले संपत्ति कर, जलकर, नगररचना विभाग, बाजार व रियल इस्टेट विभाग से 31 मार्च तक अपेक्षित राजस्व मनपा की तिजोरी में जमा नहीं हो पाया है. इससे शहर के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं और नागरी सुविधाओं के कार्य भी ठप पड़े हैं.

कोविड संकट को देखते हुए स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष विजय झलके ने वर्ष 2020-21 के लिए 476.87 करोड़ रुपए की कटौती के साथ 2731 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था. जबकि आयुक्त राधाकृष्णन बी. ने वर्ष 2020-21 के सुधारित बजट में फिर 364 करोड़ रुपए की कटौती कर 2433.33 करोड़ रुपए का बजट दिया था. वास्तव में मनपा की तिजोरी में मार्च के अंत तक 2100 करोड़ का राजस्व जमा होने का अनुमान है. लेकिन वित्त विभाग के पास अभी तक अंतिम आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.

विशेष रूप से कोविड संक्रमण को देखते हुए विभागों को कम वसूली का लक्ष्य दिया गया था. मनपा की आय के मुख्य वित्तीय स्त्रोत संपत्ति कर से 332.48 करोड़, जलकर से 175 करोड़, नगर रचना विभाग से 110.50 करोड़, बाजार विभाग से 14.75 करोड़ और रियल इस्टेट विभाग से 12.05 करोड़ की आय अपेक्षित थी. लेकिन 31 मार्च तक संपत्ति कर से 241 करोड़, नगररचना विभाग से 82 करोड़, जोकर से 156 करोड़, बाजार विभाग से 8.30 करोड़ और रियल इस्टेट विभाग से 4.48 करोड़ रुपए का ही राजस्व जमा हुआ. इसमें 39,34 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है. इसी तरह अन्य विभागों की भी यही बजट पेश करते समय शहर के विकास कार्यों के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने का निर्णय लिया गया था. इसके लिए वितीय प्रावधान भी किया गया था. प्रत्यक्ष में शहर की अमृत योजना, नाग नदी संवर्धन, सीमेंट रोड, पथदीप सहित

आवश्यक कार्य लगा मत ठप ही पड़े हैं, जबकि नए कार्य हुए ही नहीं हैं और लंबित कार्य भी पूरे नहीं हो पाए है. मनपा के विभागों के कोविड नियंत्रण में व्यस्त होने के कारण शहर के विकास कार्यों की अनदेखी हो रही है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *