इंदौर। (एजेंसी)।
इंदौर में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट का नया स्वरूप अ-4 मिला है। 7 मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग में यह वैरिएंट सामने आया है। हालांकि इस वैरिएंट को लेकर फिलहाल दुनिया भर में रिसर्च चल रही है। ऐसे में इसके नेचर को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन कई एक्सपर्ट ने इस वैरिएंट की संक्रामक क्षमता को पुराने वैरिएंट से तेज बताते हुए सावधानी बरतने की सलाह दी है।इंदौर में सितंबर में 7 लोग कोरोना पीड़ित पाए गए थे। इन सभी के सैंपल 21 सितंबर को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए थे। जीनोम सीक्वेंसिंग रिपोर्ट दिल्ली की एनसीडीसी लैब ने हाल ही में दी है।
महाराष्ट्र में अप्रैल में मिला था यह वैरिएंट
डेल्टा के इस नए वैरिएंट अ-4 की जानकारी देश में सबसे पहले अप्रैल में महाराष्ट्र में मिली थी। अब इंदौर में इससे संक्रमित मरीज मिले हैं। हालांकि अब इंदौर के सभी मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं और इन्हें या इनसे किसी को खतरा नहीं है। इंदौर में इस महीने मिली जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट में जिन लोगों में यह वैरिएंट मिला है, उनमें से 2 न्यू पलासिया, एक दुबे का बगीचा, तीन महू और एक अन्य जगह का रहने वाला है। नोडल अधिकारी डॉ. अमित मालाकार ने बताया कि ये सभी लोग पूरी तरह से सुरक्षित हैं। अ-4 वैरिएंट की ट्रांसमिशन कैपेसिटी कितनी है, इस पर विश्व में अभी रिसर्च चल रही है। इसलिए कुछ भी कहना ठीक नहीं है, लेकिन फिलहाल घबराने जैसी स्थिति नहीं है।
इन्फेक्टिविटी रेट ज्यादा होने से सावधानी की जरूरत
डॉ. रवि डोसी के मुताबिक, अ-4 अधिक संक्रामक वायरस है। इसका इन्फेक्टिविटी (संक्रामकता) रेट ज्यादा होता है। ऐसे में लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। लोगों को चाहिए कि भीड़ में न जाएं और मास्क पहने रखें। अभी सोशल डिस्टेंसिंग नहीं रख रहे लोगों को इसका ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि त्योहार नजदीक है। बहुत जरूरी है, तो ही बाहर जाएं। प्राथमिक तौर पर जिन लोगों में यह वैरिएंट पाया जा रहा है, उन्हें कोविड सेंटर में क्वारैंटाइन कराना चाहिए।
क्या वैक्सीन लगने के बाद भी चपेट में आ सकते हैं?
डॉ. डोसी के मुताबिक, किसी भी नए वैरिएंट की जानकारी उसके चलन में आने के एक महीने बाद मिलती है। अभी कुछ भी कहना, बहुत जल्दबाजी होगी। वैसे वैक्सीन के बाद भी इन्फेक्शन हो सकता है। डेल्टा वैरिएंट में भी यह देखा गया था। वैक्सीन लगने के बाद भी ऐसे कई केस सामने आ रहे हैं, लेकिन वायरस के असर की तीव्रता नहीं होती है। पहले नए वैरिएंट को पूरी तरह समझना होगा, फिर उसका प्रोटोकॉल तय करना होगा।
घबराए नहीं, जागरूक रहे
डॉ. वीपी पांडे (एओडी, मेडिसिन, एमवायएच) के मुताबिक, किसी भी नए वैरिएंट की संक्रामकता कितनी है, यह तो कुछ समय बाद ही पता चलेगा। वैसे भी हर वायरस के नए-नए वैरिएंट आना एक प्रक्रिया है, क्योंकि समय के साथ इसका नेचर बदलता है। लोगों को चाहिए कि वे जागरूक रहें, घबराएं नहीं।