भंडारा।
विधान परिषद विधायक डॉ. परिणीय फुके और उनकी पत्नी परिणीता फुके ने राज्यपाल केसरी के पास जिले के सरकारी धान खरीदी केंद्र में अनियमितता और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। दोनों जिलों में धान खरीदी की जांच शुरू कर दी गई है। नतीजतन, कई धान व्यापारी तथा आधारभूत धान केंद्र संचालक में खलबली मच गयी है। भंडारा और गोंदिया जिलों में धान बड़ी मात्रा में उगाया जाता है। पारंपरिक खेती की जाती है क्योंकि रोजगार की कोई अन्य सुविधा उपलब्ध नहीं है। इन दोनों जिलों में धान प्रमुख फसल है, जिससे लाखों क्विंटल अनाज का उत्पादन होता है। अनाज की कीमत और उसके मुकाबले रेट कम हैं। इसके चलते किसान कर्जदार होते जा रहे हैं। इसे रोकने के लिए सरकार अनाज के मूल मूल्य के अलावा 700 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस देती है। हालांकि, मूल केंद्र पर बेचे जाने के बाद समय पर अनाज का भुगतान नहीं किया जाता है। कई किसान व्यापारियों को अनाज बेचते हैं क्योंकि उन्हें पैसा मिलने में देर हो जाती है। व्यापारी उसी अनाज को सरकारी दर से कम दर पर घर-घर खरीद कर बेस सेंटर पर बेच देते हैं। इसके लिए सतबारा और कोरिया किसानों से निकासी फार्म वापस ले लेते हैं। अनाज का पैसा व्यापारी खुद लेते हैं। इन सभी मामलों में शॉपिंग मॉल्स के हाथ भी गीले हैं। इसकी शिकायत विधायक डाॅ. परिणीत फुके ने राज्यपाल केसरी से शिकायत की थी। इस संबंध में फिलहाल पूछताछ की जा रही है। इसने कई लोगों को झुलसा दिया है। दो किलो अतिरिक्त अनाज का खेल सरकारी केंद्र पर धान खरीदते समय चालीस किलो के बोरे में दो किलो अतिरिक्त धान लिया जाता है। एक नियम के रूप में, ऐसा नहीं किया जा सकता है। हालांकि धान खरीद केंद्र की मनमानी के चलते किसानों को दो किलो से अधिक धान का भुगतान करना पड़ रहा है। हर सत्रह को मानकर एक किसान को आठ से दस हजार रुपये का नुकसान होता है। ऐसे कई मामले दोनों जिलों में चल रहे हैं और किसानों के साथ लूट हो रही है।