नई दिल्ली. दिल्ली बॉर्डर पर पिछले एक साल से जारी किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए केंद्र ने नए सिरे से पहल की है. मंगलवार को केंद्र ने संयुक्त किसान मोर्चा के समक्ष पांच प्रस्ताव भेजे. इसके बाद मोर्चे ने बैठक कर इन पर विचार किया. केंद्र की कुछ शर्तों पर मोर्चे ने सवाल उठाए हैं. मोर्चा बुधवार को केंद्र के प्रस्ताव पर मंथन कर अंतिम फैसला लेगा. मोर्चे ने मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर बैठक के बाद कहा कि सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा हुई. गृह मंत्रालय से हमारे पास प्रस्ताव आया है. सरकार का लिखित प्रस्ताव देना अच्छा है. एमएसपी पर कमेटी को लेकर कुछ आपत्ति है. आंदोलन वापसी की शर्त पर भी एतराज है. आंदोलन वापसी पर ही केस वापस लेने की बात की गई है. हम सरकार की शर्त मानने को तैयार नहीं हैं. कमेटी को लेकर भी हमारे कुछ सवाल हैं. आंदोलन की वापसी पर किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि इस बारे में बुधवार को दोपहर दो बजे होने वाली बैठक में फैसला लिया जाएगा. केंद्र की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव के मसौदे पर पूरी तरह सहमति नहीं बनी है.मोर्चे ने कहा कि केंद्र सरकार के प्रस्ताव में कहा गया है कि जब हम आंदोलन खत्म करेंगे तभी किसानों पर केस वापसी होगी. इसे लेकर हमें आशंका है. सरकार को तत्काल केस वापस लेना शुरू करना चाहिए. केंद्र सरकार के प्रस्ताव के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने प्रस्ताव दिया कि वे हमारी मांगों पर सहमत होने के बाद हमें अपना विरोध समाप्त करना होगा, लेकिन प्रस्ताव स्पष्ट नहीं है. हमें कुछ आशंकाएं हैं जिन पर कल दोपहर दो बजे चर्चा होगी. हमारा आंदोलन कहीं नहीं जा रहा है, यहीं रहेगा.
केंद्र ने प्रस्ताव में यह कहा
केंद्र सरकार के समझौते के मसौदे के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्य एमएसपी पर बनने वाली कमेटी में शामिल किए जाएंगे. वहीं, सरकार ने एक साल के भीतर किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों को भी वापस लेने का प्रस्ताव रखा है. इसके अलावा इस मसौदे में पंजाब मॉडल पर मुआवजा देने की बात भी है. वहीं बिजली बिल को लेकर भी सरकार का रुख लचीला है. पराली जलाने पर आपराधिक धाराएं खत्म करने का प्रस्ताव किया गया है.