वे यहां पशु संवर्धन व दुग्ध व्यवसाय विभाग के सभी शीर्ष अधिकारियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर मंत्री ने राष्ट्रीय पशुधन योजना की वर्तमान स्थिति, कृत्रिम रेतन वैरण विकास, औषध उपलब्धता, टीकाकरण व टीके की उपलब्धता, दवाखानों की स्थिति, कुक्कुट पालनयोजना, राष्ट्रीय पशुधन अभियान की समीक्षा की. उन्होंने जिला वार्षिक येजना के तहत प्रत्येक जिला में पशु संवर्धन विभाग को दी गई निधि की जानकारी भी ली. केदार ने कहा कि पशु पालकों को अचानक मवेशी के मरने से आर्थिक नुकसान होता है. ऐसे किसानों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक पशु का बीमा किया जाना जरूरी है. गाय, भैंस, बैल, घोड़े, ऊंट आदि सभी पशुओं का महाराष्ट्र पशुधन विकास मंडल के माध्यम से बीमाकिया जा रहा है. उन्होंने एकात्मिक कुक्कुट पालन योजना के अंतर्गत अनुदान के संबंध में चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्रीय पशुधन अभियान के अंतर्गत भारी संख्या में प्रस्ताव भेजे गए हैं. इस मामले में ठेकेदारी प्रथा की तरह धीरे-धीरे काम करने से नहीं चलेगा. ऐसे मामलों में जिम्मेदारी तय करनी होगी. बैठक में प्रादेशिक पशु संवर्धन सह आयुक्त डॉ. बलदेव रामटेके, महाराष्ट्र पशुधन विकास मंडल के उपायुक्तध डॉ. संजय गोरे, डॉ.नितिन फुके, डॉ. मंजुषा पुंडलिक, डॉ. यशुदास वंजारी, डॉ. मंगेश काले, डॉ. विलास गाडगे, डॉ. पुंडलिक बोरकर, डॉ. अरविंद शंभरकर, डॉ. प्रज्ञा डायगव्हाणे, डॉ. कांति लाल पटले, डॉ. प्रशांत वैद्य, डॉ. उमेश हिरुटकर, डॉ. युवराज केने, डॉ. राजेश बली आदि उपस्थित थे.
Sunday, November 24, 2024
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