कर्नाटक के एक और कॉलेज में हिजाब पर विवाद

बेंगलुरू। (एजेंसी)।
क्लास में हिजाब पहनने के अपने अधिकार को लेकर कर्नाटक में छात्रों का विरोध दूसरे कॉलेजों में भी फैल रहा है। शुक्रवार सुबह, हिजाब पहने लगभग 40 छात्राएं कर्नाटक के उडुपी जिले के एक तटीय शहर कुंडापुर में भंडारकर आर्ट्स एंड साइंस डिग्री कॉलेज के गेट पर खड़ी हो गईं। दरअसल कर्मचारियों ने उन्हें तब तक अंदर जाने से मना कर दिया, जब तक कि वे अपने सिर से हिजाब नहीं उतार देतीं।

नियम में इजाजत, फिर हिजाब पर बैन क्यों?
18 से 20 वर्ष के बीच के सभी छात्राओं ने कॉलेज के गेट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और यह जानने की मांग की कि प्रशासन ने हिजाब पर प्रतिबंध क्यों लगाया जबकि नियम इसकी अनुमति देते हैं। कॉलेज की अपनी एक निर्देश पुस्तिका है जिसमें लिखा है, ‘छात्रों को परिसर के अंदर स्कार्फ पहनने की अनुमति है, हालांकि स्कार्फ का रंग दुपट्टे से मेल खाना चाहिए, और किसी भी छात्र को कॉलेज कैंटीन सहित परिसर के अंदर कोई अन्य कपड़ा पहनने की अनुमति नहीं है।’

छात्राओं के समर्थन में उतरे लड़के
छात्राओं के अलावा कुछ 40 मुस्लिम लड़के भी कॉलेज के बाहर बैठे दिखे और लड़कियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए उन्होंने भी अपना विरोध दर्ज कराया। इससे पहले कल, कुंडापुर के एक अन्य कॉलेज में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था, जब हिजाब पहनने वाली लड़कियों के एक समूह को प्रिंसिपल ने गेट पर ही रोक दिया और वह छह घंटे तक बाहर खड़ी रहीं। इस दौरान छात्राएं कक्षाओं में जाने की अनुमति देने की गुहार लगाती रहीं। लड़कियों ने अपनी शिकायत में कहा कि जूनियर पीयू गवर्नमेंट कॉलेज ने भी दो दिन पहले तक कक्षा में हिजाब की अनुमति दी थी।

भगवा शॉल पहनकर आए लड़के
असली विवाद तब शुरू हुआ जब हिजाब पहनीं लड़कियों का मुकाबला करने के लिए लड़कों का एक बड़ा समूह बुधवार को भगवा शॉल पहने कॉलेज में दिखा। सांप्रदायिक तनाव से बचने के लिए, कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को बिना हिजाब के कक्षाओं में भाग लेने के लिए कहने का फैसला किया। हिजाब का विरोध सप्ताह पहले उडुपी जिले के गवर्नमेंट गर्ल्स पीयू कॉलेज में शुरू हुआ था, जब छह छात्रों ने आरोप लगाया था कि उन्हें हिजाब पहनने पर कक्षाओं से रोक दिया गया था। राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा के एक नेता, यशपाल सुवर्णा, जो उडुपी कॉलेज प्रशासनिक समिति के उपाध्यक्ष हैं, ने विवादास्पद रूप से कहा कि उन्हें ‘हिंदू संगठनों की मदद से प्रतिरोध को रोकने में पांच मिनट लगेंगे।’

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