कच्चे मार्ग व जल संकट का सामना कर रहे मेहताखेडा के नागरिक

देवरी तहसील अंतर्गत ग्राम मेहताखेड़ा ऐसा ग्राम है, जहां अब तक आवागमन के लिए पक्की सड़क तक नहीं बन पाई है. वही पानी की समस्या भी विकराल रूप ले चुकी है. ग्रीष्मकाल में नदी नालों तथा कीचड़युक्त कुंओं का पानी पीने के लिए नागरिक मजबूर हो गए हैं. इस ग्राम को आदिवासी सांसद व एक विधायक का नेतृत्व मिला है लेकिन वे भी समस्या सुलझाने में असफल साबित हो रहे हैं. प्रशासन के अधिकारी तो दस्तावेजों पर ही काम दिखाने में खुश है.
उल्लेखनीय है कि देवरी तहसील के शिलापुर ग्राम पंचायत अंतर्गत आदिवासी मेहताखेड़ा ग्राम आता है. इस ग्राम में लगभग 300 आदिवासी निवास करते हैं. आदिवासी परिवार का उदरनिर्वाह जंगलों पर आधारित गौणखनिज, तेंदूपत्ता, महुआ फूल तथा मछलीमारी पर निर्भर है. वहीं खेती कर अपना गुजर बसारा करते हैं. ग्राम में एक आंगनवाड़ी व कक्षा चौथी तक स्कूल है. गांव घने जंगल में बसा होने से हमेशा वन्यजीवों का डर बना रहता है, ग्राम में आने के लिए अभी तक पक्की सडक नहीं बन पाई है.
पगडंडी मार्ग से ही आवागमन करना पड़ रहा है. सरकारी अनाज के लिए 4 किमी. दूरी तय कर दूसरे ग्राम में जाना पड़ रहा है. छोटे विद्यार्थियों को आगे की शिक्षा के लिए कच्चे रास्ते से ही घने जंगलों से देवरी पहुंचना पड़ता है, गर्भवती महिलाएं तथा अन्य मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए इस ग्राम में एम्बुलेंस सपने जैसा है क्योंकि पक्की सड़क नहीं होने के कारण बड़े वाहन इस गांव में नहीं आते हैं।

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