‘ओमिक्रॉन’ जल्दी फैलता है, इसलिए घातक नहीं है!

नई दिल्ली. देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के कुछ मामले सामने आए हैं. संभव है अगले कुछ दिनों में इसके मामलों की संख्या में और बढ़ोतरी हो सकती है. क्योंकि वायरस का यह बदला हुआ स्वरूप ज्यादा से ज्यादा लोगों को न सिर्फ संक्रमित करता है बल्कि उन पर अपना प्रभाव भी डालता है. आईसीएमआर के वैज्ञानिकों का दावा है कि इस वायरस के बदले हुए स्वरूप की आक्रामकता ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुख्य महामारी विशेषज्ञ डॉ.समीरन पांडा का कहना है कि जो वायरस ज्यादा से ज्यादा फैलता है, वह घातक नहीं हो सकता. इसके न सिर्फ प्रमाण हैं बल्कि वैज्ञानिक तथ्यों पर यह बात कही जा रही है. इसलिए लोगों को इस वायरस के बदले हुए स्वरूप से बेवजह डरने की जरूरत नहीं है. लेकिन सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है. डॉ.समीरन पांडा कहते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से लेकर डेल्टा और अन्य वेरिएंट में अभी तक के अध्ययन के दौरान सिर्फ यही पाया गया कि जिन बदले हुए स्वरूपों में ज्यादा से ज्यादा फैलने की आक्रामकता थी, उनका लोगों पर असर कम हुआ.वजह बताते हुए डॉ.समीरन पांडा कहते हैं कि जिन बदले हुए स्वरूपों में लक्षण बहुत हल्के होते हैं और उनमें संक्रामक क्षमता ज्यादा होती है, वह अपना असर नहीं दिखा पाते हैं. उदाहरण देते हुए डॉ.समीरन पांडा कहते हैं कि जो वायरस बहुत घातक होगा और अपने होस्ट (संक्रमित व्यक्ति) को ही मार डाले, तो ऐसे में मृत व्यक्ति से संक्रमण फैलने का खतरा न के बराबर होता है. ऐसी दशा में संक्रमण का स्तर उतनी तेजी से नहीं फैलता है, जितनी तेजी से शुरुआती दौर में ओमिक्रॉन स्वरूप के मामले देखे गए हैं.

वैक्सीनेशन और गाइडलाइन ही बचाव
डॉ.समीरन पांडा का दावा है कि जितने भी मामले भारत में सामने आएंगे, उन सब से निपटने के लिए ज्यादा वैक्सीनेशन और कोविड से बचने के लिए तैयार की गई गाइडलाइन ही सबसे बड़ा बचाव हैं. उन्होंने बताया कि क्योंकि यह वैरिएंट भी उसी तरीके से फैलता है जैसे कि पुराना वेरिएंट फैलता था. पुराने वेरिएंट से बचने के जो उपाय और तौर-तरीके थे, वे इस वेरिएंट में भी लागू और प्रभावी होते हैं.

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