सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें अनुरोध किया गया था कि डिजिटल माध्यम से अदालतों में सुनवाई को याचिकाकर्ता का मौलिक अधिकार घोषित किया जाए. शीर्ष अदालत ने कहा कि डिजिटल माध्यम से अदालतों में हो रही सुनवाई जारी रखने से समस्या हो सकती है. न्यायमूर्ति एल.नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की एक पीठ ने कहा कि डिजिटल माध्यम से सुनवाई में बहुत सी समस्याएं हैं. पीठ ने इस मामले को अगली सुनवाई के लिए दिसंबर में सूचीबद्ध किया है. पीठ ने कहा, डिजिटल माध्यम से सुनवाई एक समस्या हो सकती है. एक साल तक इस प्रकार काम करने के बावजूद हम प्रतिदिन 30-35 मामलों की तुलना में 60-65 मामलों की सुनवाई कर रहे हैं. डिजिटल माध्यम से सुनवाई में बहुत सारी समस्याएं हैं.
70 सालों से बिना शिकायत के मिल रहा न्याय
शीर्ष अदालत ने कहा कि 70 वर्षों से बिना शिकायत के न्याय मिल रहा है लेकिन आज प्रत्यक्ष उपस्थिति के साथ समस्या आ गई. इससे पहले सुको ने कहा था कि सुनवाई के मिलेजुले माध्यम से काम नहीं हो पा रहा हैं और फिर से सामान्य रूप से कामकाज होना चाहिए. कोर्ट गैर सरकारी संगठन ‘नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज फॉर फास्ट जस्टिस’ और कुछ प्रमुख नागरिकों की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमे वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई को वादकारियों का मौलिक अधिकार घोषित करने का अनुरोध किया गया है.