एचडीएफसी बैंक ने नापिकी से त्रस्त किसानों को जप्ति के नोटिस देने पर किसानों ने तहसील दार को ज्ञापन देकर बैंक के खिलाफ आक्रोश दर्शाया।इन किसानों की खेती उपज २० प्रतिशत भी नहीं हो पाई। ऐसे हालात में बैंक ने इनके नाम कर्जमुक्ति के लिए देने की अपेक्षा की गई थी। जो की बैंक ने की नहीं। उलटा इन संकट ग्रस्त किसानों को जप्ती के नोटिस दिए जा रहे है। इन किसानों ने बैंक से कर्ज लेने के लिए अपने खेत गहान किए थे। लेकीन बैंक ने इन किसानों के वाहन और घर के सामान पर भी जप्ती निकालने से किसानों ने आक्रोश जताया है।
सन २०१३-१४ में वडनेर परिसर के करीब ५० गावों के किसानों को ज्यादा कर्ज देने की लालच देकर उनके खेत गहाण करके कर्ज दिए। कर्ज देते समय इन किसानों की मर्जी के खिलाफ कर्ज की रकम से फसल बीमा और जीवन बीमा की रकम भी जबरन वसूल कर ली। इसके बावजूद इन किसानों ने २०१६-१७ तक कर्ज के हप्ते भरे। लेकीन उसके बाद नापीकी और अकाल गिरने से इन किसानों को कर्ज का हप्ता भरना नहीं हुआ।
इसपर बैंक ने इन लोगो के घर जाकर हप्ता भरने के लिए तकादा लगाया। इन किसानों के घर जाकर उन्हे अपमानित करने के साथ महिलाओ के साथ भी अभद्र व्यवहार करने से भी बाज नहीं आए। इतना ही नहीं, कुछ कर्ज वसूल करने गए अधिकारी ने तो कर्ज भरो नहीं तो खुदकुशी करो ये कहने पर भी संकोच नहीं किया। लेकीन किसान नापिकी और अकाल की वजह कुछ नहीं कर पाया, तो बैंक ने जप्ती की नोटिस भेजनी शुरू कर दी। बैंक ने कर्ज हिंगणघाट शाखा से दिया और मुंबई कोर्ट से जप्ती की नोटिस दी गई। जो किसान कर्ज के हफ्ते भरने के लायक नहीं रहा वो मुंबई कोर्ट जाएगा कब और मुकदमा लड़ेंगा कब,ये सवाल उठ खड़ा हो गया है।
इस बीच सरकार ने इन संकट ग्रस्त किसानों को राहत पहुंचाने के लिए दो बार कर्जमाफी दी। लेकीन इन बैंक अधिकारियों ने इन संकट ग्रस्त किसानों के नाम जो इस लाभ के लिए जायज़ होने के बावजूद कर्जमाफी के लिए नहीं दिए। अब इन किसानों को कर्ज भरने के लिए और कर्ज ले, या परिवार का भरण पोषण करे, या खुदकुशी करे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इन कठीन परिस्थीती से राहत दिलाने की मांग इन किसानों ने की है।