नई दिल्ली. वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोविड-19 बूस्टर डोज से परिसंचारी एंटीबॉडी की मात्रा बढ़ जाती है और यह भी देखा गया है कि इससे ओमिक्रोन संक्रमण से बचाव की संभावना में भी इजाफा होता है. वैज्ञानिकों ने बताया कि बूस्टर डोज उन लोगों के बचाव के लिए सबसे आसान कदम है, जिनकी इम्यून सिस्टम कमजोर है. यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने कहा है कि ओमिक्रोन के खिलाफ प्रभावी माने जाने वाले कोविशील्ड वैक्सीन की बूस्टर डोज और कोविड-19 वैक्सीन की तीसरी बूस्टर डोज ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमण से 70-75 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान करती है. इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए विषाणु वैज्ञानिकों और महामारी विशेषज्ञों ने रेखांकित किया कि किसी भी वैक्सीन की बूस्टर डोज एंटीबॉडी का स्तर तेजी से बढ़ा देती है. प्रसिद्ध विषाणु विज्ञानी डॉ.टी. जैकब जॉन ने कहा कि (पोलियो या ओपीवी, खसरा जैसे रोगों के वैक्सीन को छोड़कर) किसी भी वैक्सीन की बूस्टर डोज एंटीबॉडी का स्तर तेजी से बढ़ा देती है. उन्होंने कहा, ‘फाइजर वैक्सीन की बूस्टर डोज तो एंटीबॉडी का स्तर 40 गुना तक बढ़ा देती है.’ उन्होंने बताया, ‘अगर हम ओमिक्रोन के अज्ञात जोखिमों के बारे में सतर्क होना चाहते हैं, तो अधिक से अधिक लोगों को बूस्टर डोज देना सबसे आसान कदम है, विशेष रूप से उन लोगों को जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है. साथ ही बुजुर्गों और विभिन्न रोगों से पीड़ित लोगों के लिए भी ऐसा किया जा सकता है. यह उनके लिए लाभदायक है.’ प्रख्यात विषाणु विज्ञानी डॉ. शाहिद जमील ने कहा कि दो डोज देने के बाद एक बूस्टर डोज देने से परिसंचारी एंटीबॉडी की मात्रा बढ़ जाती है और यह देखा गया है कि यह ओमिक्रोन रोगसूचक संक्रमण से बचाव की संभावना को बढ़ा देती है. उन्होंने बताया, ‘हम नहीं जानते कि गंभीर बीमारी से बचाव के लिए दो डोज किस कदर कारगर हैं.’
बच्चों का भी हो वैक्सीनेशन
आईसीएमआर के विषाणु विज्ञान उन्नत अनुसंधान केंद्र के पूर्व निदेशक जॉन ने जोर देकर कहा कि बच्चों को भी वैक्सीन लगाया जाना चाहिए क्योंकि आबादी के एक बड़े हिस्से को वैक्सीन नहीं लगाए जाने से मुश्किलें बढ़ सकती हैं. उन्होंने कहा, ‘प्रमाण की प्रतीक्षा करने से बेहतर बचाव है. सुरक्षा प्रदान करने में देरी का मतलब सुरक्षा से वंचित होना भी हो सकता है.’