नई दिल्ली। (एजेंसी)। देश में कोरोना वायरस के रोजाना आने वाले मामलों में काफी कमी देखने को मिल रही है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी राहत देने वाले संकेत दिए हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि दुनिया में कोरोना वायरस के संक्रमण से अब कोई बड़ा प्रकोप नहीं होगा। डब्ल्यूएचओ ने उम्मीद जताई है कि साल 2022 के अंत तक महामारी का खात्मा हो सकता है। हालांकि कोविड-19 पूरी तरह से समाप्त नहीं होगा। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बड़ी संख्या में केस आने का मतलब है कि वायरस म्यूटेशन कर सकता है। हम नहीं कह सकते हैं कि आगे कैसी स्थिति आएगी। हालांकि सभी को वायरस से सतर्क रहना होगा। वहीं उम्मीद है कि ओमीक्रोन के बाद कोरोना का प्रकोप समाप्त हो जाएगा।
नया स्ट्रेन आया तो बढ़ेगी टेंशन
यूके में हाल ही में ओमीक्रोन और डेल्टा वेरिएंट्स के हाइब्रिड स्ट्रेन ‘डेल्टाक्रोन’ के मरीज मिले हैं। पहले यह माना जा रहा था कि लैब टेस्ट में गड़बड़ी हुई, लेकिन बाद में नए स्ट्रेन की पुष्टि हो गई। इधर, भारत में पिछले 24 घंटों में कोविड-19 के 13,405 नए मामले आए, 34,226 रिकवरी हुईं और 235 लोगों की कोरोना से मौत हुई। फिलहाल भविष्य के बारे में कोई कुछ नहीं कह सकता है, लेकिन अपनी तरफ से हम वैक्सीन लगवाने के बाद सतर्कता तो बरत ही सकते हैं। खासतौर पर तब जब एक्सपर्ट कह रहे हैं कि यह वायरस इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है।
वैक्सीन लगवा ली तो भी बेफिक्र न रहे
अपने देश में और दुनिया में भी देखा गया है कि लोग कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद बड़े बेफिक्र नजर आते हैं। हालांकि टास्क फोर्स के डॉ. जयदेवन का कहना है कि ओमीक्रोन वेव में देखा गया कि वैक्सीन लगाने के बाद भी यह संक्रमण होता रहा। यह भविष्य में नए वैरिएंट के आने पर भी देखने को मिल सकता है।
स्वास्थ्य कर्मियों पर कोरोना का बेहद बुरा असर
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी नई रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि कोविड-19 महामारी ने स्वास्थ्य कर्मियों पर भारी असर डाला है और उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और वेलनेस की खतरनाक तरीके से उपेक्षा की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी से पहले भी तीन में से एक से अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं में स्वच्छता की कमी थी, जबकि छह में से एक से कम देशों में स्वास्थ्य क्षेत्र में एक स्वस्थ और सुरक्षित कार्य वातावरण पर एक राष्ट्रीय नीति थी। यह पाया गया कि कोविड ने महामारी के पहले 18 महीनों में लगभग 115,500 स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा की प्रणालीगत कमी को उजागर किया है। डब्ल्यूएचओ के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग की निदेशक डॉ मारिया नीरा ने कहा, ‘कोविड -19 महामारी से पहले भी, स्वास्थ्य क्षेत्र काम करने के लिए सबसे खतरनाक क्षेत्रों में से एक था।’