इंटरनेट बैन गलती थी, एकतरफा रिपोर्टें प्रकाशित हुई

भारतीय संपादकों की संस्था ‘एडिटर्स गिल्ड आॅफ इंडिया’ की एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने मणिपुर से संबंधित मीडिया रिपोर्टों की जांच के लिए राज्य का दौरा किया है. टीम ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि जातीय हिंसा के दौरान ‘एकतरफा’ रिपोर्ट प्रकाशित की गईं और इंटरनेट प्रतिबंध ने ‘मामलों को और भी बदतर’ बना दिया.
सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर की तीन सदस्यीय टीम 7 से 10 अगस्त तक मणिपुर में थी. उनकी 24 पेज की ‘मणिपुर में जातीय हिंसा की मीडिया रिपोर्टों पर फैक्ट-फाइंडिंग मिशन की रिपोर्ट’ यह भी बताती है कि कैसे कुछ खबरों के कारण सुरक्षा बलों की बदनामी हुई.
उदाहरण के लिए अपनी सिफारिशों में इसने कहा, ‘मैतेई मीडिया सुरक्षा बलों, विशेषकर असम राइफल्स की निंदा करने में एक पक्षकार बन गया. असम राइफल्स के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार करके वह अपने कर्तव्य में विफल रहा. वह यह दावा करता रहा कि यह केवल जनता के विचारों को प्रसारित कर रहा था. यह तथ्यों को सत्यापित करने और फिर अपनी रिपोर्ट में उनका उपयोग करने में विफल रहा.’ राज्य सरकार ने भी दिया मौन समर्थन
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार ने भी मणिपुर पुलिस को असम राइफल्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देकर इस बदनामी का मौन समर्थन किया, ‘यह दर्शाता है कि राज्य के एक हाथ को नहीं पता था कि दूसरा क्या कर रहा है या यह जान-बूझकर की गई कार्रवाई थी.’ असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस में अभूतपूर्व संघर्ष
देश के सबसे पुराने अर्धसैनिक बलों में से एक असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस के बीच संघर्ष अभूतपूर्व रहा है. इसके खिलाफ मणिपुर पुलिस की एफआईआर कथित तौर पर ‘कुकी उग्रवादियों को भागने की अनुमति देने’ के लिए दर्ज की गई थी. असम राइफल्स के महानिदेशक (डीजी) लेफ्टिनेंट जनरल पीसी नायर ने बीते 1 सितंबर को कहा है कि मणिपुर में स्थितियां अभूतपूर्व हैं.इंटरनेट बैन ने समाचारों के सत्यापन को प्रभावित किया
एडिटर्स गिल्ड की रिपोर्ट ने समाचारों की क्रॉस-चेकिंग और निगरानी को प्रभावित करने में इंटरनेट प्रतिबंध की भूमिका का उल्लेख किया और इसे सीधे तौर पर ‘गलती’ और अफवाहों को फैलने देने का एक तरीका बताया है .3 मई को लगा था इंटरनेट पर प्रतिबंध मणिपुर में पहली बार बीते 3 मई को इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया था. इसी दिन राज्य में जातीय हिंसा की शुरूआत हुई थी, जो पिछले चार महीनों से जारी है. तब से कई सरकारी आदेशों में इसे जारी रखा गया था, जब तक कि जून के अंत में इसके प्रतिबंधित उपयोग की अनुमति नहीं दी गई.रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इंटरनेट पर प्रतिबंध बिल्कुल जरूरी हो जाता है, तो समाचार प्लेटफार्मों को प्रतिबंध से छूट दी जानी चाहिए और मीडिया प्रतिनिधियों, नागरिक समाज संगठनों और सरकारी प्रतिनिधियों की एक समिति को प्रतिबंध और इसकी अवधि की निगरानी करनी चाहिए.मणिपुर मीडिया बन गया था मैतेई समुदाय का मीडिया
विशेष रूप से रिपोर्ट में कहा गया है कि संघर्ष के दौरान मणिपुर मीडिया प्रभावी रूप से बहुसंख्यक मैतेई समुदाय का मीडिया बन गया था.इसके अनुसार, ‘मैतेई मीडिया जैसा कि मणिपुर मीडिया संघर्ष के दौरान बन गया था, ने संपादकों के साथ सामूहिक रूप से एक-दूसरे से परामर्श करने और एक ही कहानी पर सहमति व्यक्त करने लिए के साथ काम किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह चलन स्पष्ट रूप से उन दिनों से शुरू हुआ, जब घाटी में उग्रवादी समूह सक्रिय थे और किसी भी प्रतिकूल रिपोर्टिंग के लिए अखबार के संपादकों को धमकी देते थे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *