आरटीएम नागपुर विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह

यदि लोकतंत्र के मंदिरों को चर्चा, संवाद और बहस के मंच के रूप में संरक्षित नहीं किया गया, तो इन मंदिरों पर उन ताकतों का कब्जा हो जाएगा, जो न तो जनप्रतिनिधि हैं और न ही लोगों के प्रति जवाबदेह हैं.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज यहां यह बात कही. उपराष्ट्रपति ने इसके लिए जन-आंदोलन का आह्वान किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी जनप्रतिनिधि संविधान द्वारा निर्धारित काम में ईमानदारी से हिस्सा लें.
उपराष्ट्रपति ने आज नागपुर में राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे. उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को संवैधानिक संस्थानों को अस्थिर और अतार्किक रूप से कलंकित करने, धूमिल करने और अपमानित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. उपराष्ट्रपति ने छात्रों को ‘गंभीरता से सोचने, व्यापक रूप से पढ़ने, लगातार चीजों को अपने अनुकूल बनाने और क्षितिज को लगातार व्यापक करने की सलाह दी।
उपराष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ‘लोकतंत्र के मंदिरों को वस्तुत: नष्ट किया जा रहा है.’ उन्होंने नागरिकों को आगाह किया कि इन स्थानों को चर्चा, संवाद और बहस के मंच के रूप में संरक्षित नहीं किया गया तो फिर उन पर उन ताकतों का कब्जा होने की संभावना है, जो न तो जनप्रतिनिधि हैं और न ही राष्ट्र के नागरिकों के प्रति जवाबदेह हैं।
अनुकरणीय मॉडल के रूप में संविधान सभा का उदाहरण देते हुए, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि असहमति को विरोध में नहीं बदला जा सकता, व्यवधान और गड़बड़ी के चलते बातचीत और चर्चा को छोड़ा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा, ‘संविधान सभा को भी विभाजनकारी और विवादास्पद मुद्दों का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने हमेशा समन्वय, सहयोग और सहयोग की भावना से इन्हें हल किया।’
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि वित्तीय विचारों के लिए आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता नहीं किया जा सकता। ‘व्यापार, उद्योग और व्यवसाय को इसके प्रति बेहद संवेदनशील होना होगा। केवल नागरिकों द्वारा आर्थिक राष्ट्रवाद के महत्व के प्रति जागरूक करके ही इसे हासिल किया जा सकता है.’
इस बात पर जोर देते हुए कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती, उपराष्ट्रपति ने नागरिकों को याद दिलाया कि किसी को भी अपनी वित्तीय क्षमता के आधार पर ऊर्जा या जल संसाधनों का उपयोग करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने रेखांकित किया कि, ‘इन संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करना ही हमारा परम कर्तव्य है।’
भारत ने विश्व मंच पर जो प्रतिष्ठा, कीर्ति और स्थायित्व अर्जित किया है, उस पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि किसी भी व्यक्ति को, ‘अस्थिर और तर्कहीन रूप से, संवैधानिक संस्थानों को कलंकित करने, धूमिल करने और अपमानित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’ उन्होंने नागरिकों से ऐसे भारत विरोधी बयानों को बेअसर करने का आह्वान किया, क्योंकि ये राष्ट्र के हितों के प्रतिकूल हैं।
छात्रों को अलग-अलग दृष्टिकोणों के प्रति खुला दिमाग रखने के महत्व पर जोर देते हुए, उपराष्ट्रपति ने उनसे ‘आलोचना करने में धीमे और समझने में तेज होने’ का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘जब आप दूसरों के रुख की सराहना करना सीख जाएंगे तो आप समझदार हो जाएंगे।’इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, केंद्रीय राजमार्ग और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस, राष्ट्रसंत तुकाड़ोजी महाराज (आरटीएम) नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुभाष चौधरी और अन्य गणमान्य व्यक्ति कार्यक्रम में उपस्थित थे।
इससे पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एक दिवसीय नागपुर दौरे के लिए शुक्रवार की दोपहर 3 बजे नागपुर विमानतल पर पहुंचे. विमानतल पर राज्यपाल रमेश बैस, केंद्रीय सड़क परिवहन व महामार्ग मंत्री नितिन गडकरी, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उनका स्वागत किया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *