आदिवासियों पर आई भुखमरी की नौबत

4 वर्ष पूर्व रोड बना किंतु पूर्व पत्थरों पगडंडियों के रास्ते से 18 किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था विकास से वंचित आदिवासियों ने राजमाता से गुहार लगाई गोंदिया महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश की सीमा जो आदिवासी अति दुर्गम जहां भोले भाले गरीब आदिवासी 70 वर्षों से शासन की आने की योजना आती हैं नहीं। एक तरफ अमृत महोत्सव तो दूसरी तरफ डंडारी ग्राम में 1984 से 18 से तालाब से होने वाली सेंटर योजना जिससे सैकड़ों किसानों के खेत पानी के लिए तरस रहे हैं। जिससे आर्थिक स्थिति ठीक होती हि नहीं लेकिन कागजों तक सिमट कर रह गई शिक्षा क्षेत्र में मुकुरडोह 123 डंडारी में भी जिला परिषद की प्राथमिक शाला नहीं है कुछ वर्ष पहले बनी बिल्डिंग जो भूत बंगला दिखाई दे रही है सैकड़ों परिवार के छात्र-छात्राएं बेरोजगार बड़े मुश्किल से सालेकासा गोंदिया पढ़ाई कर उन्हें इस स्कूल के गांव में नौकरी देना चाहिए बेरोजगार काम की तलाश में नागपुर हैदराबाद आदि जगह जा रहे हैं। वहां कोई मर भी जाए तो दवा खाने भी नहीं है। जाते-जाते रास्ते में दम तोड़ते हैं। आदिवासी के जानकारी अनुसार केवल 15 दिन तेंदूपत्ता तोड़ाई जो 40 किलोमीटर जंगल में जाकर भालू से लड़ाई लड़ना पड़ता है। 15 दिन बाद कटाई कुछ समय महुआ चुनाई इसी धंधे से आदिवासी निर्भर होकर साल भर कोई काम नहीं होना भुखमरी तो आई है शासन भी अनदेखी कर योजना लाने में असमर्थ दिखाई दे रही है। नई दिल्ली की राजमाता फुलवा देवी पधारने पर आप बीती आदिवासियों ने बताई। शासन के आइडियल कल्चर व्यवस्था बताया जबकि सूत्रों अनुसार पुलिस विभाग 3 राज्यों की 300 जवान हेलीपैड के साथ होकर रास्ता भी अभी बन गया। 2018 से बावजूद अभी भी गंभीर अवस्था में आदिवासी अपना जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। अनेक जिलाधिकारी और वरिष्ठ अधिकारियों को यहां की गरीब जनता से निवेदन देने पर चुनाव के समय झूठे वादे कर भले आदिवासियों को वोट की मांग करते हैं। लेकिन वास्तविकता आदिवासी क्षेत्र के नागरिक योजना हेतु तड़पने नजर आ रहे हैं।

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