-सभी सात देशों ने भारत के नजरिए का किया समर्थन
-12 बिंदुओं पर बनी सहमति
नई दिल्ली. अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारत समेत पड़ोसी मुल्कों के लिए सुरक्षा का खतरा बढ़ गया है. तालिबान के फिर से सत्ता में आने के साथ ही अफगान धरती फिर से आतंकियों का गढ़ होने की आशंका लगातार बढ़ती जा रही है. इसी मुद्दे पर तीसरी क्षेत्रीय सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन दिल्ली में हुआ. इस बैठक में आठ देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) ने हिस्सा लिया. इस महत्वपूर्ण बैठक में अफगानिस्तान के भविष्य और पड़ोसी मुल्कों की सुरक्षा चिंताओं को लेकर चर्चा की गई. बैठक में भारत के अलावा ताजिकिस्तान, रूस, ईरान, कजाख्स्तान, किर्गिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के शीर्ष सुरक्षा सलाहकारों ने भाग लिया. इस बैठक में अफगानिस्तान को लेकर दिल्ली डिक्लरेशन तैयार हुआ. इसके मुताबिक अफगानिस्तान की धरती को आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न होने देने और किसी तरह की फंडिंग को रोकने को लेकर सहमति बनी. बैठक के दौरान ‘दिल्ली डिक्लेरेशन’ के 12 प्रमुख बिंदुओं को पारित किया गया. इस समय सभी आठों देशों के एनएसए ने अपनी-अपनी राय रखी. बैठक के बाद सभी एनएसए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. पीएम मोदी ने सभी एनएसए का स्वागत कर उनसे चर्चा की.
अफगान के घटनाक्रमाें पर रखी जा रही है नजर
बैठक की अध्यक्षता करते हुए डोभाल ने कहा, ‘हम सब आज अफगानिस्तान से संबंधित मुद्दों पर बात करने के लिए इकट्ठा हुए हैं. हम सब अफगानिस्तान में हो रही घटनाओं को गौर से देख रहे हैं. अफगानिस्तान के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि उसके पड़ोसी देशों और क्षेत्र के लिए भी इसके महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं.उन्होंने आगे कहा कि मुझे विश्वास है कि हमारे विचार-विमर्श प्रोडक्टिव व उपयोगी होंगे और अफगानिस्तान के लोगों की मदद करने और हमारी सामूहिक सुरक्षा बढ़ाने में योगदान देंगे.
बैठक में शामिल नहीं हुए चीन और पाकिस्तान
इस बैठक का नाम ‘दिल्ली रीजनल सिक्योरिटी डायलॉग ऑन अफगानिस्तान’ रखा गया था. भारत ने एनएसए लेवल की बैठक की मेजबानी की. भारत के एनएसए अजित डोभाल ने बैठक का नेतृत्व किया. बैठक में पाकिस्तान और चीन ने शामिल होने से पहले ही मना कर दिया था. चीन ने शेड्यूल का बहाना बनाकर बैठक में आने से इनकार किया था.