नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने शनिवार को एक बड़ा फैसला किया. तय किया गया कि गणतंत्र दिवस समारोह अब 24 जनवरी की जगह 23 जनवरी से शुरू किया जाएगा. यह फैसला नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन को गणतंत्र दिवस में समारोह में शामिल करने के उद्देश्य से किया गया है. उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था. सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार देश के इतिहास और संस्कृति को अहम पहलुओं को सम्मान देने और सेलिब्रेट करने पर जोर दे रही है. यह नया फैसला इसी लाइन पर लिया गया है। इससे पहले केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाना शुरू किया था. नेताजी के पड़पोते चंद्र कुमार बोस ने इस बारे में कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जो कदम उठाएं हैं, देश की जनता उनका स्वागत करती है. लेकिन आज के समय में ज्यादा जरूरी यह है कि नेताजी की आइडियोलॉजी को राजनीति में शामिल करें. उन्होंने कहा कि इस बारे में मैंने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी है. नेताजी अकेले ऐसे नेता थे जो लोगों के धर्मों से अलग, उन्हें भारतीयता के आधार पर जोड़ सकते थे.
नेताजी होते तो भारत का बंटवारा नहीं होता
चंद्र बोस ने कहा कि अगर नेताजी की विचारधारा को नहीं अपनाया जाएगा, तो भारत फिर से बिखर जाएगा. हमने भारत और बंगाल का बंटवारा देख लिया है. अगर नेताजी भारत लौटकर आ जाते तो बंटवारा नहीं होता. अब भारत फिर से बंटने लगा है. बंटवारे की राजनीति का अंत होना चाहिए. देश में सांप्रदायिक सद्भाव होना जरूरी है.