नई दिल्ली. कोरोना से मौत पर परिवार वालों को मुआवजा न देने और इसमें देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से नाराजगी जाहिर की है. आंध्र प्रदेश और बिहार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई और कहा कि आप कानून से ऊपर नहीं हैं. इसके बाद अदालत ने बुधवार को ही दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों को कोर्ट में पेश होने का आदेश भी दिया. पिछले साल अक्तूबर में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई भी राज्य मुआवजे के लिए इनकार नहीं कर सकता है. साथ ही आदेश दिया था कि एप्लीकेशन दाखिल किए जाने के 30 दिन के भीतर पैसा दे दिया जाना चाहिए. जस्टिस एमआर शाह ने कहा, ‘मुआवजा देने के आदेश पहले ही दिए गए. समय दिया गया और फिर निर्देश जारी किए गए. इसके बावजूद यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आंध्र प्रदेश की तरफ से इस पर बहुत बेरुखी दिखाई गई. ऐसा लगता है कि यह राज्य इस कोर्ट के आदेशों का पालन करने को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. मुआवजा न दिए जाने का कोई कारण भी नहीं बताया है.’ कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश के बाद आंध्र में मुआवजे के लिए 36 हजार एप्लीकेशन फाइल की गई हैं. इनमें से 31 हजार वैलिड भी हैं, लेकिन अभी तक केवल 11 हजार को ही मुआवजा दिया गया है. अगर योग्य कैंडिडेट को मुआवजा नहीं दिया जाता है, तो इसे कोर्ट के आदेश की अवहेलना माना जाएगा. इसके लिए चीफ सेक्रेटरी जिम्मेदार हैं। चीफ सेक्रेटरी अदालत में आएं और बताएं कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए.’ कोर्ट ने कोरोना से मौतों के आंकड़े पर बिहार को बुरी तरह फटकार लगाई. अदालत ने कहा, ‘आपने तो अभी तक डेटा भी अपडेट नहीं किया है. आपके मुताबिक अभी केवल 12 हजार की मौत हुई है. हमें वास्तविक आंकड़े चाहिए। हमने जब पहले आदेश दिया था, उसके बाद से दूसरे राज्यों के आंकड़े बढ़ गए हैं। अपने चीफ सेक्रेटरी को बुलाइए. हम यह मानने को तैयार नहीं हैं कि अभी केवल 12 हजार की मौत हुई.’
एप्लीकेशन और मौतों के अंतर पर भी फटकारा
जस्टिस संजीव शर्मा ने राज्यों को मुआवजे की एप्लीकेशन और मौतों की संख्या के अंतर को लेकर फटकारा. अदालत ने कहा कि अगर मौतों और मुआवजे की एप्लीकेशन के बीच इतना ज्यादा अंतर बना रहता है, तो हम जिला स्तर पर कानूनी अधिकारियों की तैनाती करने को मजबूर हो जाएंगे ताकि मुआवजे का सही बंटवारा हो.