अपनी भाषा के प्रति गौरव बढ़ाए : प्रो. रजनीश शुक्‍ल हिंदी विश्‍वविद्यालय ने मनाया भारतीय भाषा उत्‍सव

महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में एक भारत श्रेष्‍ठ भारत योजना के अंतर्गत भारतीय भाषा उत्‍सव कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि हमें अपनी भाषा के प्रति गौरव होना चाहिए। भाषाओं के प्रयोग से उनकी पहचान कायम रहेगी और उनका गौरव भी बढे़गा। कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल की अध्‍यक्षता में गालिब सभागार में 12 दिसंबर को महाकवि सुब्रमण्‍यम भारती का जन्‍मदिवस भारतीय भाषा उत्‍सव के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल, प्रो. चंद्र‍कांत रागीट, कुलसचिव क़ादर नव़ाज ख़ान, डॉ. प्रियंका मिश्रा, मंजप्‍पा मंचासीन थे। प्रो. शुक्‍ल ने कहा कि भाषाएं प्रयोग में न होने के कारण लुप्‍त होती जा रही हैं। संविधान सम्‍मत कुछ भाषाओं में अखबार तक नहीं निकलता है। कुछ भाषाएं लुप्‍त हुई हैं। उन्‍होंने इजराइल और बाल्टिक देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि इजराइल ने अपनी भाषा के लिए वर्षों तक संघर्ष किया। आज वे हिब्रू भाषा में अपना कामकाज करते है। कश्मीर जैसे राज्‍य में भी कुछ भाषाएं लुप्‍त हुई हैं। उन्‍होंने कहा कि प्रयोग में न आने के कारण शब्‍द मर जाते हैं।
कार्यक्रम के दौरान महाकवि सुब्रमण्‍यम भारती द्वारा मूल तमिल में रचित कविता ‘वंदे मातरम्’ का विश्‍वविद्यालय के अध्‍यापकों और अधिकारियों द्वारा विविध भारतीय भाषाओं में पाठ किया गया। डॉ.रामानुज अस्‍थाना ने तमिल में, डॉ. सुनील कुमार ने हिंदी में, डॉ. ज्‍योतिष पायेंग ने असमी में, डॉ.वागीश राज शुक्‍ल ने संस्‍कृत में, डॉ. हरप्रीत कौर ने पंजाबी में, डॉ. संदीप सपकाले ने मराठी में, डॉ. एच. ए. हुनगुंद ने कन्‍नड में, डॉ. हिमांशु शेखर ने उर्दू में, डॉ. के बालराजु ने तेलुगु में, डॉ. ओमप्रकाश भारती ने नेपाली में, डॉ. कृपाशंकर चौबे ने बांग्‍ला में, डॉ. नरेंद्र पाल ने गुजराती में, डॉ. अमित विश्‍वास ने मैथिली में तथा डॉ. भरत कुमार पंडा ने
ओडिया भाषा में ‘वंदे मातरम्’ कविता का पाठ कर लघु भारत का एहसास कराया।
प्रास्‍ताविक वक्तव्‍य में जनसंचार विभाग के अध्‍यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने कहा कि विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी अवधारणा पत्र के अंतर्गत महाकवि सुब्रमण्‍यम भारती की जयंती के उपलक्ष्‍य में भारतीय भाषा उत्‍सव मनाया जा रहा है। तमिल के महाकवि भारती ने स्‍वदेश मित्र नामक अख़बार निकाला। वे इंडिया अख़बार के संपादक भी रहे और उन्‍होंने बांग्‍ला एवं मराठी भाषा को तमिल में प्रचारित किया। कार्यक्रम के तहत ‘मेरी भाषा मेरा हस्‍ताक्षर’ अभियान भी चलाया गया।
इस अवसर पर विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थियों ने ‘मिले सुर मेरा तुम्‍हारा’ का गायन विभिन्‍न भारतीय भाषाओं में प्रस्‍तुत किया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप-दीपन, छात्राओं द्वारा कुलगीत तथा चंदन कुमार मिश्र द्वारा भारत वंदना के गायन से किया गया। कार्यक्रम का संचालन एक भारत श्रेष्‍ठ भारत की संयोजक डॉ. प्रियंका मिश्रा ने किया तथा कुलसचिव क़ादर नवाज़ ख़ान ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में सहभागी हुए विद्यार्थियों को कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्‍मानित किया गया। इस अवसर पर अध्‍यापक, अधिकारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्‍या में आभासी माध्‍यम से तथा प्रत्‍यक्षत: उपस्थित रहे।

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