अदानी पॉवर तिरोडा के लिए वरदान या अभिशाप

2007-8 से शुरू हुआ अदानी पॉवर वैसे तो, लोगों को एक कमायी का ज़रिया दिखायी दे रहा है.ओफ़ यह उसी नशे जैसा है, जिसका आदि होने के बाद लोग खुद्की सेहत से हात धो कर अपनी जिंदग्गी ख़राब कर बैठते है. अदानी समूह की राख आए दिनो ऐसे ही एक समस्या तिरोड़ा परिसर वं सम्पूर्ण ज़िल्हे के लोगों के लिए बनी हुई है.वैसे तो अदानी समूह उस राख में पर्यावरण को पोषक nutrients होने की बात अपने NGO के माध्यम से रखता है पर.सच्चाई से परे होने या लोगों को भ्रमित कर अपना उल्लू सीधा करने का मक़सद उनका दिखता है , ज़मीन में राख जाने से ऊँचे उगने वाले पौधे जो ज़्यादा मात्रा में ऑक्सिजन देते है उनकी राख डाले हुए भाग में बढ़ोतरी नही होती. जिससे प्रदेश सूखा ग्रस्त या बंजर होने के कगार पर जाएगा, अदानी की दो बड़ी चिमनियों से जो धुँआ निकलता है उससे जो पर्यावरण में जो बदलाव आए है उसमें परिसर में उम्मस और गरमी काफ़ी बढ़ी है. इसकी समझ पर्यावरण वादी लोगों में है, पर फॉरेस्ट कहो या रेवेनु हर जगह अदानी अपने पैसे से काम कर लोगों की आवाज़ दबा देता है.लोगों ने अगर आंदोलन की कोशिश की तो पुलिस के ज़रिए वो दबा दिय जाता हैअदानी उद्योग के निर्माण के समय काफ़ी नियमो को आड़े हाथ लिया गया था. जिसके चलते कयी नेताओ की जेबें भरि गयी, पर सामान्य लोगों को सिर्फ़ चने ही दिए गए, इस आस में कीउनकी ज़िंदगी बदल जाएगी पर ऐसे ना होते हुए, अदानी उद्योग आने से परिसर में ऐक्सिडेंट की संख्या में काफ़ी बढ़ोतरी हुए है.साथ ही लोगों का जीवन शैली में नशे का प्रमाण एवं अवैध धंधे का परिसर में जिस मात्रा में संख्या बधी है इससे अदानी परिसर के लिए शाप है या वरदान इसकी चर्चा लोगो में ज़ोरों पर है।

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