भारतीय सेना में अब जवानों की भर्ती अग्निपथ योजना के तहत हो रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने अग्निवीर योजना के मुद्दे को जोर-शोर के साथ जनता के बीच उठाया था। इतना ही नहीं जब बीजेपी सरकार बनीं तो उनके सहयोगी दलों ने भी स्कीम में बदलाव की मांग कर दी है। वहीं जिस दिन इस स्कीम को लागू किया गया था तब से यह बात भी रक्षा मंत्रालय की तरफ से कही गई थी कि समय-समय पर इसको रिव्यू किया जाएगा। अगर कोई परिवर्तन करना हो तो उसे भी किया जाएगा।
डेढ़ साल हुआ
अग्निपथ स्कीम को लागू हुए डेढ़ साल का वक्त हो चुका है और इन डेढ साल में इस स्कीम को रिव्यू किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो डीएमए यानी कि डिपार्टमेंट आॅफ मिलेट्री अफेयर्स ने तीनों सेना से इस पर रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों की मानें तो चार साल के कार्यकाल को बढ़ाने, ज्यादा भर्ती और 25 पर्सेंट रिटेंशन की सीमा को बढ़ाने की बात की जा रही है, लेकिन यह कितनी होगी इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। इसके अलावा ट्रेनिंग और या ड्यूटी पर किसी अग्निवीर की मौत या घायल होने की सूरत में परिवार को आर्थिक सहायता दिए जाने को लेकर भी मंथन हो रहा है।
छुट्टियों का अंतर भी कम होगा
इतना ही नहीं रेगुलर सेना के जवानों और अग्निवीर को मिलने वाली छुट्टियों के अंतर में भी बदलाव किया जा सकता है। मसलन सामान्य सोलजर को साल में 90 दिन की छुट्टी मिलती है, तो अग्निवीरो को साल में सिर्फ 30 दिन की। अभी अग्निवीरों के पहले बैच को आउट होने में ढाई साल का समय है तो अगर किसी तरह के बदलाव किए गए तो पहले बैच के आउट होने से पहले ही कर दिए जाए ताकी उसका फायदा पहले बैच के अग्निवीरों को मिल सके।
अगर हुआ बदलाव तो गोरखा सैनिकों को मिलेगी राहत
जब से स्कीम आई है तब से नेपाल में किसी भी तरह की भर्ती रैली का आयोजन नहीं हुआ है। कोरोना के दौरान तकरीबन ढाई साल और अग्निपथ योजना के लागू हुए तकरीबन डेढ़ साल यानी की पिछले चार साल से भारतीय सेना में नेपाली गोरखा सैनिकों की भर्ती नहीं हुई है। भारतीय सेना के एक अधिकारी के मुताबिक, आजादी से पहले तक गोरखा रेजिमेंट में करीब 90 फीसदी गोरखा सैनिक नेपाल के होते थे और 10 फीसदी भारतीय गोरखा, लेकिन जैसे से समय बीता इस प्रतिशत 80:20 किया गया। इसके बाद में इसे 60:40 तक कर दिया गया। यानी की 60 फीसदी नेपाली डोमेसाइल गोरखा और 40 फीसदी भारतीय डोमेसाइल गोरखा।
10 प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों
के समूह को काम सौंपा
नई दिल्ली। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एनडीए सरकार ने अग्निपथ योजना की समीक्षा करने और सशस्त्र बलों में भर्ती कार्यक्रम को और अधिक आकर्षक बनाने के तरीके सुझाने के लिए 10 प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों के एक समूह को काम सौंपा है. सचिवों का यह समूह अग्निपथ योजना के जरिए सैनिकों की भर्ती को और अधिक आकर्षक बनाने के तरीके सुझाएगा. अखबार ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा सचिवों का यह समूह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन से लौटने के बाद उन्हें अंतिम प्रेजेंटेशन देगा. अंतिम रिपोर्ट के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय इसमें सुधार के लिए जरूरी कदम उठा सकता है. मीडिया में कहा जा रहा है कि पीएमओ राज्यों समेत दूसरे स्रोतों से मिले सुझावों और फीडबैक की समीक्षा के बाद योजना में बदलावों पर अंतिम फैसला लेगा.