कृषि मंत्री तोमर ने कहा ‘सरकार किसानों को मंडी की बेड़ियों से आजाद कराना चाहती थी, ताकि वे मंडी से बाहर अपना प्रोडक्ट कहीं भी, किसी को भी, अपनी खुद की कीमत पर बेच सके.’ किसानों के प्रस्ताव ठुकराए जाने को लेकर उन्होंने कहा ‘हमने किसानों को प्रस्ताव भेजा था. वे कानूनों को निरस्त कराना चाहते थे.’ तोमर ने कहा ‘हम यह कहना चाहते हैं कि सरकार उन प्रावधानों पर खुले दिमाग से चर्चा करना चाहते हैं, जिनपर किसानों को आपत्ति है.’ कृषि मंत्री ने यह साफ किया है ‘कानून APMC या MSP को प्रभावित नहीं करेंगे.’
उन्होंने कहा कि संसद के सत्र में सरकार कृषि से जुड़े तीन कानून लेकर आई थी. इन कानूनों पर संसद में सभी दलों के सांसदों ने अपना पक्ष रखा था. लोकसभा और राज्यसभा में बिल पारित हुआ था. चर्चा के दौरान सभी सांसदों ने अपने विचार रखे. ये तीनों कानून आज देशभर में लागू हैं.
जमीनों के मुद्दे को लेकर सफाई उन्होंने कहा ‘ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि किसानों की जमीनें उद्योगपतियों को मिलेंगी.’ उन्होंने कहा ‘गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक में लंबे समय से कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग की जा रही है, लेकिन अभी तक ऐसा मामला सामने नहीं आया.’ तोमर ने बताया ‘इसके बाद भी हमने कानून में यह प्रावधान शामिल किया है कि इस समझौते के तहत कानून केवल किसानों की उपज और प्रोसेसर की बीच होंगे। किसानों की जमीन पर लीज या समझौते का कोई भी प्रावधान नहीं है।’ ‘
एमएसपी का इन कानूनों से कोई लेना देना नहीं है’ केंद्रीय मंत्री ने कहा ‘एमएसपी का इन कानूनों से कोई लेनादेना नहीं है. ये कानून एमएसपी को जरा भी प्रभावित नहीं करते हैं.’ तोमर ने बताय ‘प्रधानमंत्री और मैंने किसानों को यह भरोसा दिया है कि एमएसपी जारी रहेगी.’ कॉन्फ्रेंस में शामिल केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा ‘कुछ चिंताएं थीं कि किसानों को निजी बाजारों में प्रोडक्ट बेचने को मजबूर किया जाएगा.’ गोयल ने कहा ‘यह पूरी तरह से गलत है. कानून में ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है, जो किसानों को किसी भी तरह मजबूर करे.’